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यहां है बड़ी गफलत बताया जा रहा है कि एआरटी सेन्टर से सीधे ही ये सूचियां जिला रसद अधिकारी तक पहुंचाई जानी चाहिए थी और वहां से उन नामों पर बीपीएल की मुहर लगनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। दूसरी ओर रसद विभाग की दलील है कि ये कार्य एसडीओ के माध्यम से हो रहा है। इ-मित्र से पीडि़तों को ऑनलाइन आवेदन कर स्वयं को पुष्ट करना होगा कि वह एचआइवी ग्रस्त या एड्स रोगी है।
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यहां है बड़ी गफलत बताया जा रहा है कि एआरटी सेन्टर से सीधे ही ये सूचियां जिला रसद अधिकारी तक पहुंचाई जानी चाहिए थी और वहां से उन नामों पर बीपीएल की मुहर लगनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। दूसरी ओर रसद विभाग की दलील है कि ये कार्य एसडीओ के माध्यम से हो रहा है। इ-मित्र से पीडि़तों को ऑनलाइन आवेदन कर स्वयं को पुष्ट करना होगा कि वह एचआइवी ग्रस्त या एड्स रोगी है।
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नहीं किया जा रहा चयनित
एसडीओ व बीडीओ को लिखकर भेजा जाता है कि इन लोगों को बीपीएल में शामिल किया जाए, ये कार्य रसद विभाग के माध्यम से होता है। बीपीएल में ऑनलाइन कोई काम नहीं है। चिकित्सालय स्थित एआरटी सेन्टर के माध्यम से रिपोर्ट जिला रसद अधिकारी को भेजी जाती है। नाम उसी से तय होते हैं। जिनमें अब तक एक भी एड्स रोगी के बीपीएल का कार्ड नहीं बना।
एसडीओ व बीडीओ को लिखकर भेजा जाता है कि इन लोगों को बीपीएल में शामिल किया जाए, ये कार्य रसद विभाग के माध्यम से होता है। बीपीएल में ऑनलाइन कोई काम नहीं है। चिकित्सालय स्थित एआरटी सेन्टर के माध्यम से रिपोर्ट जिला रसद अधिकारी को भेजी जाती है। नाम उसी से तय होते हैं। जिनमें अब तक एक भी एड्स रोगी के बीपीएल का कार्ड नहीं बना।
विक्रम शर्मा, संचालक, एसएनपी प्लस संस्था (एड्स पीडि़तों के लिए संचालित)
—– इसके लिए इ-मित्र से आवेदन किया जाता है। इन आवेदनों के माध्यम से जानकारी एसडीओ के पास जाती है, वहां से इन मरीजों के नाम बीपीएल सूची में जुड़ जाते हैं। हमारे पास सीधे कोई आवेदन या नाम नहीं आता।
ज्योति ककवानी, जिला रसद अधिकारी, उदयपुर
—– इसके लिए इ-मित्र से आवेदन किया जाता है। इन आवेदनों के माध्यम से जानकारी एसडीओ के पास जाती है, वहां से इन मरीजों के नाम बीपीएल सूची में जुड़ जाते हैं। हमारे पास सीधे कोई आवेदन या नाम नहीं आता।
ज्योति ककवानी, जिला रसद अधिकारी, उदयपुर