उदयपुर. बच्चों में एलर्जी पर कार्यशाला बाल चिकित्सालय सभागार में
शनिवार को आयोजित की गई। बच्चों में होने वाली एलर्जी पर राज्य स्तरीय
कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजन सचिव एवं विभागाध्यक्ष डॉ आर एल सुमन
ने बताया कि इस कार्यशाला में देश के ही नहीं राज्य स्तरीय विभिन्न संकाय
सदस्यों ने भाग लिया और उन्होंने अपने विभिन्न तरह के व्याख्यान के
द्वारा एवं टेस्टिंग का प्रैक्टिकल डेमोस्ट्रेशन के द्वारा उपस्थित सभी
सहयोगियों से चर्चा की। जिस तरह से आजकल वातावरण में बदलाव आता जा रहा
है, बच्चों में एलर्जी की बीमारियां भी पहले से ज्यादा बढ़ती जा रही है।
बहुत तरह से अलग-अलग विभिन्न विभिन्न प्रकार के प्रेजेंटेशंस होते हैं।
इससे कई बार बहुत मुश्किल होता है डायग्नोज करने के लिए, तो की इस
कार्यशाला में चेन्नई से डॉक्टर नागराजू जयपुर से डॉक्टर मुकेश गुप्ता
एवं डॉ मोहित पोद्दार ने अपने अनुभव के आधार पर सभी प्रतिभागियों से
बताया कि किस तरह से एलर्जी की जल्दी पहचान की जा सकती है। किस तरह कैस
कंफ र्म किया जा सकता है, और किस तरह का इलाज संभव है जो कि पहले इलाज
जल्दी से संभव नहीं होता था और अब बच्चों का सफ लतापूर्वक इलाज किया जा
सकता है। कार्यशाला में आयोजित चेयर पर्सन डॉ. लाखन पोसवाल, डॉ. आरएल
सुमन, डॉ हेमंत पोरवाल, डॉ बीएल मेघवाल, डॉ. मोहम्मद आसिफ , डॉ. निशांत
डांगी डॉ. भूपेश, डॉ. नीतू अनुराधा, डॉ. चंदेल एवं संभाग से जिला स्तर से
और सब जिला स्तर के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
शनिवार को आयोजित की गई। बच्चों में होने वाली एलर्जी पर राज्य स्तरीय
कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजन सचिव एवं विभागाध्यक्ष डॉ आर एल सुमन
ने बताया कि इस कार्यशाला में देश के ही नहीं राज्य स्तरीय विभिन्न संकाय
सदस्यों ने भाग लिया और उन्होंने अपने विभिन्न तरह के व्याख्यान के
द्वारा एवं टेस्टिंग का प्रैक्टिकल डेमोस्ट्रेशन के द्वारा उपस्थित सभी
सहयोगियों से चर्चा की। जिस तरह से आजकल वातावरण में बदलाव आता जा रहा
है, बच्चों में एलर्जी की बीमारियां भी पहले से ज्यादा बढ़ती जा रही है।
बहुत तरह से अलग-अलग विभिन्न विभिन्न प्रकार के प्रेजेंटेशंस होते हैं।
इससे कई बार बहुत मुश्किल होता है डायग्नोज करने के लिए, तो की इस
कार्यशाला में चेन्नई से डॉक्टर नागराजू जयपुर से डॉक्टर मुकेश गुप्ता
एवं डॉ मोहित पोद्दार ने अपने अनुभव के आधार पर सभी प्रतिभागियों से
बताया कि किस तरह से एलर्जी की जल्दी पहचान की जा सकती है। किस तरह कैस
कंफ र्म किया जा सकता है, और किस तरह का इलाज संभव है जो कि पहले इलाज
जल्दी से संभव नहीं होता था और अब बच्चों का सफ लतापूर्वक इलाज किया जा
सकता है। कार्यशाला में आयोजित चेयर पर्सन डॉ. लाखन पोसवाल, डॉ. आरएल
सुमन, डॉ हेमंत पोरवाल, डॉ बीएल मेघवाल, डॉ. मोहम्मद आसिफ , डॉ. निशांत
डांगी डॉ. भूपेश, डॉ. नीतू अनुराधा, डॉ. चंदेल एवं संभाग से जिला स्तर से
और सब जिला स्तर के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।