पीएम जहां सरकारी कामकाज को पेपरलेस करने में जुटे हैं, वहीं राज्य सरकार ने नए वेतनमान के लिए पेंशनर्स को कागजी खानापूर्ति अनिवार्य कर दी है। हाल ही जारी आदेश के अनुसार एक अक्टूबर 2017 से पेंशनर्स को मूल पेंशन का 2.57 गुणा राशि पेंशन बढ़ाकर देना प्रस्तावित है। इसके लिए वित्त विभाग से जो आदेश जारी हुए हैं, उसमें पेंशनर्स को बैंक में फार्म भरने के साथ ही पीपीओ बुक देकर आवेदन करना होगा। इसके बाद आवेदन और पीपीओ ट्रेजरी पहुंचाए जाएंगे। वहां से नए वेतनमान लागू होने के बाद बैंक को दिए जाएंगे। फिर नए वेतनमान के अनुसार पेंशन दी जाएगी।
पीपीओ के खराब होने व खोने की आशंका
अधिकतर पेंशनर्स के पास पीपीओ काफी पुराने व कटे-फटे हैं। इन्हें बमुश्किल संभाल कर रखा गया है, लेकिन बैंक में इन्हें देने के बाद इनके इधर-उधर होने तथा खराब होने की आशंका ज्यादा है।
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पेंशनर समाज के उदयपुर शाखा अध्यक्ष भंवर सेठ ने बताया कि जब केंद्र सरकार के पेंशनरों की पेंशन का निर्धारण बैंक कर रहे हैं तो राज्य सरकार यह प्रक्रिया क्यों नहीं अपना रही है। इस प्रक्रिया से बैंक व ट्रेजरीकर्मियों के समय व श्रम की बचत होगी। ऐसा नहीं किया तो स्टाफ की कमी के चलते यह प्रक्रिया पूरी करने में कम से कम एक साल का समय लग जाएगा, तब तक पेंशनर धक्के खाते रहेंगे। मंत्री बाबूलाल जैन ने बताया कि कई पेंशनर्स 80 वर्ष से ऊपर हैं और कई बीमार हैं। इस प्रक्रिया से पेंशनर्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। पीपीओ की कॉपियां इधर-उधर ले जाने में परेशानियां होती है। इन्हें वापस प्राप्त करने में भी परेशानी होगी। वरिष्ठ उपाध्यक्ष कृष्णचंद्र श्रीमाली ने बताया कि पेंशनर्स की पीपीओ में काफी खराब कागज लगे हुए हैं। ऐसे में अधिकांश पीपीओ काफी खराब स्थिति में है। इन्हें आवेदन के साथ जमा करने की बजाय कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर से ही इस समस्या का समाधान निकाला जाए। इससे पेंशनर्स के साथ ही बैंक और ट्रेजरी का काम भी हल्का होगा। जालोर के पेंशनर ईश्वरलाल शर्मा ने बताया कि बैंकों में आवश्यकता से 60 प्रतिशत कम कर्मचारी है। इस जटिल प्रक्रिया में पेंशनर्स की फाइलों के इधर-उधर होने की आशंका अधिक है। कम्प्यूटर के दौर में इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सॉफ्टवेयर ही उचित समाधान है।
पेंशनर समाज के उदयपुर शाखा अध्यक्ष भंवर सेठ ने बताया कि जब केंद्र सरकार के पेंशनरों की पेंशन का निर्धारण बैंक कर रहे हैं तो राज्य सरकार यह प्रक्रिया क्यों नहीं अपना रही है। इस प्रक्रिया से बैंक व ट्रेजरीकर्मियों के समय व श्रम की बचत होगी। ऐसा नहीं किया तो स्टाफ की कमी के चलते यह प्रक्रिया पूरी करने में कम से कम एक साल का समय लग जाएगा, तब तक पेंशनर धक्के खाते रहेंगे। मंत्री बाबूलाल जैन ने बताया कि कई पेंशनर्स 80 वर्ष से ऊपर हैं और कई बीमार हैं। इस प्रक्रिया से पेंशनर्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। पीपीओ की कॉपियां इधर-उधर ले जाने में परेशानियां होती है। इन्हें वापस प्राप्त करने में भी परेशानी होगी। वरिष्ठ उपाध्यक्ष कृष्णचंद्र श्रीमाली ने बताया कि पेंशनर्स की पीपीओ में काफी खराब कागज लगे हुए हैं। ऐसे में अधिकांश पीपीओ काफी खराब स्थिति में है। इन्हें आवेदन के साथ जमा करने की बजाय कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर से ही इस समस्या का समाधान निकाला जाए। इससे पेंशनर्स के साथ ही बैंक और ट्रेजरी का काम भी हल्का होगा। जालोर के पेंशनर ईश्वरलाल शर्मा ने बताया कि बैंकों में आवश्यकता से 60 प्रतिशत कम कर्मचारी है। इस जटिल प्रक्रिया में पेंशनर्स की फाइलों के इधर-उधर होने की आशंका अधिक है। कम्प्यूटर के दौर में इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सॉफ्टवेयर ही उचित समाधान है।
समस्या नहीं होगी
पेंशनर का पीपीओ डबल कॉपी में होता है। एक कॉपी विभाग में रहती है और दूसरी पेंशनर के पास। जब भी पेंशन रिवाइज होती है, इसकी इंट्री विभाग की कॉपी के साथ ही पेंशनर के पीपीओ में होनी आवश्यक है। ऐसा नियम बना हुआ है। बैंक अपने ग्राहकों के प्रति सजग रहते हैं। पीपीओ इधर-उधर होने संबंधित समस्या होने नहीं होगी।
परमेश्वरी चौधरी, निदेशक पेंशन एंड पेंशन वेलफेयर डिपार्टमेंट
पेंशनर का पीपीओ डबल कॉपी में होता है। एक कॉपी विभाग में रहती है और दूसरी पेंशनर के पास। जब भी पेंशन रिवाइज होती है, इसकी इंट्री विभाग की कॉपी के साथ ही पेंशनर के पीपीओ में होनी आवश्यक है। ऐसा नियम बना हुआ है। बैंक अपने ग्राहकों के प्रति सजग रहते हैं। पीपीओ इधर-उधर होने संबंधित समस्या होने नहीं होगी।
परमेश्वरी चौधरी, निदेशक पेंशन एंड पेंशन वेलफेयर डिपार्टमेंट