यहां बापना स्ट्रीट में बोर्दिया सेहरी (घंटाघर) निवासी पुनीत पुत्र सतीश कोठारी के खिलाफ पिछले दिनों नवरत्न कॉम्प्लेक्स निवासी राकेश पुत्र ललित चौधरी को चेक चुराने व 13.51 लाख रुपए की राशि भरकर धोखाधड़ी करने का मामला हाथीपोल थाने में दर्ज हुआ था। कोठारी ने मामला निरस्त करवाने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। न्यायालय ने नो-कर्सिव लिखते हुए आदेश की प्रति हाथीपोल थाने में भिजवाई थी। कोठारी का कहना था कि गिरफ्तारी पर रोक के आदेश के बावजूद पुलिस ने उसके विरुद्ध कार्रवाई कर न्यायालय में चालान पेश कर दिया। जमानत पर बाहर आने के बाद उसने उदयपुर एसपी, डीएसपी-पश्चिम गोपालसिंह भाटी व हाथीपोल थानाधिकारी अशोक आंजना के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना का वाद दायर किया। हाईकोर्ट ने सभी अधिकारियों को न्यायालय में तलब भी किया था। पुलिस अधिकारियों की ओर से सरकारी वकील ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी पर कोर्ट से किसी तरह का स्टे नहीं था। सिर्फ उस पर बलपूर्वक कार्रवाई नहीं करने के आदेश थे। पुलिस ने इसी की पालना करते हुए नियमानुसार गिरफ्तारी की। अधिवक्ता ने पिछले आदेश की कॉपी भी पेश की। सुनवाई के बाद न्यायालय ने इस तरह के प्रदेश में कई मामले होने पर बार एसोसिएशन को बहस के लिए बुलाया था। डिबेट के बाद न्यायाधीश पुष्पेन्द्र भाटी ने आदेश दिया कि अब प्रदेश में ऐसे किसी भी मामले में गिरफ्तारी के लिए न्यायालय की अनुमति लेनी होगी।
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न्यायालय ने पूरे प्रदेश में यह नियम लागू करने के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल राजेश पंवार व पीपी वी.एस. राजपुरोहित को आदेश की जानकारी दी। डीजीपी को भी प्रति भिजवाई, ताकि प्रदेश में इस आदेश की समानता से पालना तय हो।
न्यायालय ने पूरे प्रदेश में यह नियम लागू करने के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल राजेश पंवार व पीपी वी.एस. राजपुरोहित को आदेश की जानकारी दी। डीजीपी को भी प्रति भिजवाई, ताकि प्रदेश में इस आदेश की समानता से पालना तय हो।