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उदयपुर संभाग से तीन हुए मंत्री पर उदयपुर जिले से कोई नहीं

locationउदयपुरPublished: Nov 23, 2021 10:04:25 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

वरिष्ठता में खेरवाड़ा विधायक परमार थे, लेकिन नंबर नहीं आया, बागीदौरा से मालवीया दूसरी बार मंत्री बने

उदयपुर संभाग से तीन हुए मंत्री पर उदयपुर जिले से कोई नहीं

उदयपुर संभाग से तीन हुए मंत्री पर उदयपुर जिले से कोई नहीं

मुकेश हिंगड़
उदयपुर. गहलोत मंत्रिमंडल में अब उदयपुर संभाग से तीन मंत्री हो गए हैं। उप चुनाव में दोनों सीट कांग्रेस के खाते में जाने के बाद संभाग के आदिवासी अंचल से महेन्द्रजीत सिंह मालवीया को मंत्री बनाया। वैसे वे पूर्व में गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके हंै। संभाग से उदयलाल आंजना एवं अर्जुनसिंह बामनिया के बाद अब मालवीया मंत्री बने हैं। मंत्रिमंडल में उदयपुर जिले से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
मंत्रिमंडल विस्तार में उदयपुर जिले से खेरवाड़ा विधायक दयाराम परमार का नाम आने का सबको इंतजार था, लेकिन शनिवार रात को आई सूची में उनका नाम नहीं था। परमार पूर्व में भी गहलोत सरकार में उच्च शिक्षामंत्री रह चुके हैं और उनके अनुभवों के लाभ के चलते ही उनके मंत्रिमंडल में लेने को लेकर कांग्रेस समर्थकों की नजरें थीं।

इन जिलों से कोई नहीं

उदयपुर संभाग में उदयपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद व डूंगरपुर जिले से अभी मंत्रिमंडल में किसी को शामिल नहीं किया गया है। चित्तौडगढ़़ से आंजना तो बांसवाड़ा जिले से बामनिया व मालवीया दो मंत्री बने हैं।

मालवीया दो बार केबिनेट मंत्री बनने वाले पहले आदिवासी नेता

बागीदौरा विधायक महेंद्रजीतसिंह मालवीया ने केबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। मालवीया बांसवाड़ा जिले में पहले ऐसे आदिवासी नेता हैं, जो दो बार केबिनेट मंत्री बने हैं। मुख्यमंत्री गहलोत की पिछली सरकार में भी मालवीया केबिनेट मंत्री रहे थे। वहीं जिले में पहली बार ऐसा मौका आया है, जबकि किसी सरकार के कार्यकाल में एक ही जिले में एक केबिनेट और राज्यमंत्री हो। मालवीया के मंत्री बनने के बाद राज्यमंत्री अर्जुनसिंह बामनिया ने उन्हें बड़ा भाई बताते हुए साथ मिलकर काम करने की बात कही है।
सियासी संकट में साथ रहे मालवीया

मालवीया मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी रहे हैं। तीन साल पहले मंत्रिमंडल में सम्मिलित नहीं करने पर कई सियासी कयास लगाए गए। सरकार बनने के बाद गहलोत की बागीदौरा क्षेत्र में हुई सभाओं में यह दर्द भी छलका, लेकिन उन्होंने सब्र बनाए रखा। प्रदेश में सियासी संकट के दौरान भी वे सीएम के साथ रहे। अभी धरियावद उप चुनाव में भी मालवीया को वहां जिम्मेदारी दे रखी थी।
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