एक अनुमान के मुताबिक इतनी बड़ी तादाद में गायब विस्फोटक से पूरे राजस्थान को तबाह किया जा सकता है। उदयपुर जैसे शहर के लिए तो 4 ट्रक ही काफी है। गायब ट्रकों में अमोनियम नाइट्रेट की कीमत करीब 300 करोड़ रुपए आंकी गई है। पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि आरोपित के साथ उसका पिता महेंद्र बाहेती एवं अन्य परिजनों की ओर से दीपक फर्टीलाइजर से मिलीभगत कर अमोनियम नाइट्रेट का बहुत बड़े पैमाने पर कारोबार किया जा रहा है। सरकारी दर पर आरोपित प्रति किलो 35 रुपए के हिसाब से अमोनियम नाइट्रेट खरीदता था। वहीं चार गुना अधिक दामों में इसे बेच देता था। आरोपित श्री तिरूपति एंटरप्राइजेज, बालाजी ड्रिलिंग, बालाजी टे्रडर्स, जीटी सेल्स, बालाजी एंटरप्राइजेज, श्रीनाथ एंटरप्राइजेज, तिरूपति ट्रेडिंग के नाम से बनी फर्मों का सहारा लेकर दीपक फर्टीलाइजर कंपनी से बिना वैद्य अनुज्ञापत्रों के हेराफेरी करता था। पुलिस ने अनुसंधान में पाया कि बाहेती के कार्मिकों के खातों में करोड़ों रुपयों का लेनदेन हुआ है।
20 हजार मासिक के कार्मिक के नाम पर फर्म
पुलिस ने पाया कि संबंधित फर्म का रजिस्ट्रेशन गांव अंटाली, आसींद जिला भीलवाड़ा निवासी घेवरसिंह के नाम है। घेवरसिंह आरोपित अविनाश की कंपनी में 20 हजार रुपए मासिक वेतन का कर्मचारी है। घेवरसिंह के नाम से कोई अधिकृत लाइसेंस नहीं है। अन्य फर्मों के खातों से करोड़ों रुपए का लेनदेन होना सामने आया। आरोपित की ओर से एक विशेष मेल आईडी एवं मोबाइल नंबर उसके ही दिए हुए थे।
पुलिस ने पाया कि संबंधित फर्म का रजिस्ट्रेशन गांव अंटाली, आसींद जिला भीलवाड़ा निवासी घेवरसिंह के नाम है। घेवरसिंह आरोपित अविनाश की कंपनी में 20 हजार रुपए मासिक वेतन का कर्मचारी है। घेवरसिंह के नाम से कोई अधिकृत लाइसेंस नहीं है। अन्य फर्मों के खातों से करोड़ों रुपए का लेनदेन होना सामने आया। आरोपित की ओर से एक विशेष मेल आईडी एवं मोबाइल नंबर उसके ही दिए हुए थे।
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गौरतलब है कि बीते वर्षों के दौरान देश में हुए बम धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ है। विस्फोटक के तौर पर 86-88 फीसदी अमोनियम नाइट्रेट, 8-10फीसदी चूरा की हुई कोयले की ईंट एवं 4 फीसदी डीजल केअंश को मिलाकर किसी लोहे या हार्ड प्लास्टिक के कन्टेनर में टाइट भरकर डेटोनेटर के माध्यम से ब्लास्ट किया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2011 में नाइट्रेट के लिए पृथक लाइसेंस प्रक्रिया लागू की थी।
गौरतलब है कि बीते वर्षों के दौरान देश में हुए बम धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ है। विस्फोटक के तौर पर 86-88 फीसदी अमोनियम नाइट्रेट, 8-10फीसदी चूरा की हुई कोयले की ईंट एवं 4 फीसदी डीजल केअंश को मिलाकर किसी लोहे या हार्ड प्लास्टिक के कन्टेनर में टाइट भरकर डेटोनेटर के माध्यम से ब्लास्ट किया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2011 में नाइट्रेट के लिए पृथक लाइसेंस प्रक्रिया लागू की थी।