श्रीरामलला मंदिर के भूमिपूजन के मुख्य यजमान सलिल सिंघल से पत्रिका से खास बातचीत, जनजागरण व मंदिर निर्माण ही जीवन का उद्देश्य था
मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. अयोध्या में राम मंदिर के लिए जनजागरण, आंदोलन और मंदिर निर्माण ये तीनों चीजें ही उन्होंने अपने जीवन में आत्मसात कर रखी थी। यही विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्टीय अध्यक्ष व मेरे चाचा स्व. अशोक सिंघल के जीवन का उद्देश्य था। यह बात अयोध्या में श्रीरामलला मंदिर के भूमि पूजन के मुख्य यजमान सलिल सिंघल ने मंगलवार को पत्रिका से विशेष बातचीत में कही। वे बोले कि उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी उद्देश्य की पूर्ति में व्यतीत किया। उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। उन सहित लाखों-करोड़ों लोगों ने जो स्वप्न देखा वह आज साकार रूप ग्रहण करने जा रहा हैं। व्यक्तिश: मेरे लिए गर्व का विषय है कि मै स्व. अशोक सिंघल का भतीजा हूं और इस कार्यकम में यजमान की भूमिका में हिस्सा ले रहा हूं।
सवाल : आप अयोध्या पहुंच गए, कैसा माहौल है, क्या लग रहा है? जवाब : आज मै इस गौरवमयी क्षण का हिस्सा बनने जा रहा हूं, यह मेरे स्व. चाचाजी अशोक सिंघल के कारण ही संभव हुआ है। मै बेहद भावुक हूं, निरूत्तर हूं, मेरे पास शब्द नहीं है। भगवान के जन्म स्थान पर भूमि पूजन करेंगे। यजमान होना बहुत अहम बात है। यहां सब कुछ राममयी हो रहा है।
सवाल : अशोक सिंघल के साथ जब मंदिर की बात होती तब क्या भाव थे उनके ? जवाब : जबसे हमने होश संभाला तब से ही वे मंदिर के जनजागरण के कार्यक्रम से जुड़े हुए थे। यह उनकी इच्छा 1980 से बहुत पहले की थी। यह संघर्ष छोटा नहीं था। उनके मन मस्तिष्क में था कि मंदिर वहीं बनाना है। उन्होंने समाज व देश को हिन्दूत्व का मतलब बताया और समझाया। वे कहते थे हम हिन्दूओं को भी हिन्दू धर्म की रक्षा करनी चाहिए थे, यह हमारी संस्कृति है। मर्यादा पुरूषोत्तम राम से हर व्यक्ति प्रेरणा ले असली मायने यही बड़ी बात है।
सवाल : मंदिर आंदोलन से जुड़ा कोई संस्मरण आपके जहन में है? जवाब : मैने पहले ही कह दिया कि राजनीति पर बात नहीं करुंगा, आंदोलन व जागरण के कार्यक्रम किससे छीपा है। यह एक लम्बा संघर्ष रहा है। हां एक बात जरूर कह सकता हूं कि वे जब भी उदयपुर आते थे तो अयोध्या के मंदिर निर्माण की परिकल्पना के साथ ही आते थे। शायद यहीं कारण था कि मेरे छोटे भाई अरविंद सिंघल को मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की खोज के लिए सिरोही निकल जाते थे। वहां पिंडवाडा के पास पत्थरों को तराश रहे कारीगरों से बातचीत करते। वहां आना-जाना बहुत रहा और बहुत काम किया।
सवाल : मंदिर के निर्माण में इतना लम्बा समय लगा आपका क्या कहना हैï? जवाब : कानून ने अपना काम किया, फैसला सबके सामने है। वे इसे किसी की हार जीत के रूप में नहीं देखते थे। चाचाजी यहीं कहते थे कि धैर्य रखिए, मुझे उनकी बात याद आ रही है कि वे कहते कि भगवान राम के आशीर्वाद से सब कुछ अच्छा होगा।
सवाल : राम मंदिर भूमि पूजन का पल, आपकी नजरों में
जवाब : यह भव्य कार्यक्रम होगा। भव्य राममंदिर बनेगा। देश-दुनिया के लिए लोगों को शांति व प्रेम का प्रेरणा मिलेगी इस स्थान से। मै, धर्मपत्नी मधु सिंघल व बेटे मयंक के साथ हवन में शामिल होंगे। भगवान राम के आशीर्वाद से सब शुभ होगा।
सवाल : आप उदयपुर से है, इस अवसर पर प्रदेश के लोगों को से क्या कहना चाहेंगे? जवाब : जो जहां है वो वहां जुट जाए राम के काज में। सब पर रामलला की कृपा बनी रहे, यहीं मनोरथ है, यहीं कामना है।