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आयुर्वेद की औषध बन सकती है ‘कोरोनारोधी कवच

locationउदयपुरPublished: May 10, 2021 08:28:47 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– खरल से दूर होगी खांसी, सर्दी, जुकाम

आयुर्वेद की औषध बन सकती है 'कोरोनारोधी कवच

आयुर्वेद की औषध बन सकती है ‘कोरोनारोधी कवच

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. आयुर्वेद के पिटारे में बंद कई औषधियां कोरोना से बचाव में कारगर साबित हो रही है। कई औषधियां ऐसी है जो कोरोना के माइल्ड टू मोडरेट लेवल पर खरी उतर रही है। इन मरीजों या शुरुआती लक्षणों में केवल काढ़े से ही काम नहीं चलेगा, इसके लिए काढ़े के साथ अन्य औषधियों का सेवन भी जरूरी है। आयुर्वेद में विभागीय स्तर पर पिछले चार माह से लगातार लोगों को ये दवाइयां सेवन करने की सलाह भी दे रहा है।
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कोविड . 19 रोकधाम के लिए कुछ दवाइयाँ

1 आयुष 64- 2-2 कैप्सूल सुबह.शाम

2 संशमनी वटी 2-2 गोली सुबह.शाम
3 अश्वगन्धा चूर्ण 3.5 ग्राम

4 त्रिभुवन कीर्ति रस 2-2 गोली सुबह.शाम
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आयुर्वेद विभाग के औषधलयों में उपलब्ध काढ़ा
1-वातश्लैष्ममिक क्वाथ के घटक

वासा,कण्टकारी, हरिद्रा, सोंठ, कालीमिर्च, लौंग, पिप्पली, भारंगी, तालीसपत्र, मुलैठी, तुलसी पंचांग, और किराततिक्त

2-गोजिह्वादि क्वाथ के घटक
मुलैठी, छोटी कंटकारी, गवांजवा, गुलबनफ्शा, कालीमिर्च, सौंफ , लिसोड़ा, वासा, हंसराजए उन्नाव ,खूबकलां
ये दोनों तरह के काढे जुकाम, खाँसी, सर्दी, गले की सूजन व ज्वर में लाभकारी हैं।

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काढ़ा बनाने की विधि:

– 10 ग्राम सूखा काढा लेकर 160 मिली पानी में डाल कर धीमी आँच पर उबालें। 40 मिली पानी शेष रहने पर छानकर पीलें।
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ये है दवा की खासियत-

– आयुष 64- ये दवा सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च साइसेंज, सीसीआर ने कारगर बताया है। इस गोली का ट्रायल मलेरिया, बुखार व वायरल के लिए किया था। कोरोनारोधी माइल्ड टू मोडरेट उपयोगी पाया गय। दो-दो कैप्शुल दोनो टाइम लेते हैं।
– संशमनी वटी- गिलोय का काढ़ा बनाकर गाढ़ा कर तैयार होती है। मूल रूप से व्यक्ति को कोई रोग नहीं है, तो भी वह शरीर में दोष वृद्धि के लिए बेहतर है। यानी शरीर में किसी प्रकार की कोई परेशानी उपजने से पहले ही उसे रोकने के लिए उपयोग में ली जाती है। लक्षण नहीं होने पर भी दोषों के प्रकोप का शमन करती है। कोरोना के लक्षण नहीं है वह स्वस्थ है तो भी लेना लाभकारी है। टेबलेट- दो-दो गोली सुबह से शाम गुनगुने पानी में लेते हैं।
– अश्वगंधा चुर्ण- स्वस्थ्य व्यक्ति को भी लेना चाहिए। सुरक्षा गार्ड की तरह होता है। दो से तीन ग्राम की मात्रा में दिन में सुबह शाम गुनगुने पानी या दूध से। अश्वगंध का पावडर है। शरीर में बल बढ़ाती है। इम्यूनिटी बुस्टर के रूप में माना जाता है।
त्रिभूवनकीर्ति वटी- जुकाम में लक्षण मिलने पर लाभकारी है। बुखार, सर्दी, गले में सूजन होने व खांसी को दूर करती है। ये भी सुबह शाम- दो-दो गोली लेनी होती है।

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कोरोना के लिए तैयार नहीं किया काढ़ा ….
ये काढ़ा सर्दी, जुकाम, खांसी व कफ रोकने के लिए है। ये जो काढ़ा वितरित किया जा रहा है, वह कोरोना के लिए तैयार नहीं किया गया है, खास तौर पर दवाइयों के साथ लेना बेहतर रहेगा। मौसमी बीमारियों में लाभप्रद होता है। काढ़ा एक बार पीने के बाद नहीं बल्कि इसे सात दिन सेवन करना चाहिए। लक्षण ठीक नहीं होने पर तत्काल चिकित्सकों से संपर्क कर जांच करवानी चाहिए।
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केवल काढ़े से काम नहीं चलेगा, इसके लिए नियमित औषधियां लेनी होती है, काढ़ा भी दवाओं के साथ लेकर कोरोना से बचाव किया जा सकता है। सरकार ने एडवाइजरी जारी की है, आयुष क्वाथ कोरोना से बचाव में यह बेहतर है। इसे घरेलू उपचार के नाम से शुरू किया है। चार कालीमिर्च, सोंठ, तुलसी, दालचीनी से इसे तैयार किया जाता है। काढ़े का सूखा पावडर आता है। वातश्लैष्मिक वटी पावडर को आठ गुना पानी में उबाल कर इसे तैयार करते हैं।
इन्दुशेखर शर्मा, अतिरिक्त निदेशक आयुर्वेद उदयपुर

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