राज्य सरकार ने सख्ती दिखाते हुए नगर निकायों के अधिकारियों से कहा कि वे अब इस पर पूरी निगरानी रखें और प्रयास यह हो कि इन मूर्तियों का उपयोग ही नहीं हो। स्वायत्त शासन विभाग ने राज्य की सभी नगर निगम, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं को कहा कि पर्यावरण पर इन मूर्तियों से पडऩे वाले प्रभाव को देखते हुए मूर्तियों का उपयोग ही बंद किया जाए। निदेशक पवन अरोड़ा ने कहा कि गणेश चतुर्थी व दुर्गा पूजा जैसे महोत्सवों के दौरान इन मूर्तियों का उपयोग किया जाता है जबकि केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड ने भी इनके उपयोग नहीं करने के पूर्व में निर्देश दे रखे हैं और पीएम ने भी मन की बात में इसको लेकर चिंता जताई है।
इन मूर्तियों से ये होता है नुकसान प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित मूर्तियों से न केवल जल प्रदूषण होता है वरन इससे आमजन के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। – नदिया, झीलें और जलीय जीव जंतु भी प्रभावित होते हैं।
– मिट्टी की गुणवत्ता को भी कम कर देते हैं।
– मिट्टी की गुणवत्ता को भी कम कर देते हैं।
READ MORE : उदयपुर में आखिर सावन के बादलों ने लगाई ऐसी झड़ी कि सड़केंं बनी दरिया..शहर हुआ पानी-पानी.. देखें तस्वीरें ये कार्रवाई करनी होगी निकायों को – महोत्सवों के दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस, सीमेंट और प्लास्टिक से निर्मित मूर्तियों के उपयोग को बंद करवाएं।
– पानी में आसानी से घुल जाने वाले तत्वों का उपयोग करें जिससे कोई भी हानिकारक रंग न हो
– मिट्टी से बनी मूर्तियां बनाने के लिए गतिविधियां बढ़ाएं। हमने झीलों में तो पाबंदी लगा रखी
उदयपुर में प्रशासन ने इन मूर्तियों के झीलों में विसर्जन पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसमें विभिन्न संगठनों ने भी उसका साथ दिया है। दूधतलाई, गोवर्धन सागर व अम्बापोल पर बनाए गए विशेष कुंड में इनका विसर्जन किया जाता है। अब इन मूर्तियों के निर्माण व उपयोग को बंद कराने पर प्रशासन व निकाय काम करेंगे।
– मिट्टी से बनी मूर्तियां बनाने के लिए गतिविधियां बढ़ाएं। हमने झीलों में तो पाबंदी लगा रखी
उदयपुर में प्रशासन ने इन मूर्तियों के झीलों में विसर्जन पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसमें विभिन्न संगठनों ने भी उसका साथ दिया है। दूधतलाई, गोवर्धन सागर व अम्बापोल पर बनाए गए विशेष कुंड में इनका विसर्जन किया जाता है। अब इन मूर्तियों के निर्माण व उपयोग को बंद कराने पर प्रशासन व निकाय काम करेंगे।