उदयपुर . राज्य सरकार द्वारा सरकार द्वारा 7 सितंबर 2017 को अध्यादेश लाया गया है जो देश में भ्रष्टाचार और नौकरशाही को बढ़ावा देने वाला होकर आम नागरिकों के हितों पर कुठाराघात करने वाला है। इसके विरोध में बार एसोसिएशन उदयपुर ने अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए सोमवार को रैली निकाल कर प्रदर्शन किया। वहीं, मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया।
ज्ञापन में एसोसिएशन की ओर से बताया गया कि इस अध्यादेश के आने से मीडिया की स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर पाबंदी लगेगी जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है । इसके अलावा आम जनता को न्याय दिलाने के लिए सीआरपीसी की प्रावधान 156 3 में न्यायपालिका को काफी शक्तियां प्राप्त है ,लेकिन इस अध्यादेश में उक्त धारा में फेरबदल किए जाने से आम जनता में रहे न्यायपालिका के प्रति विश्वास कमी आएगी । आज देश में केवल विश्वास न्यायपालिका के प्रति रह गया है और इस अध्यादेश के आने से न्यायपालिका की शक्तियां कम होगी, जिससे समाज में अराजकता उत्पन्न होने की संभावना है।
READ MORE: उदयपुर के आदिवासी क्षेत्रों में परिवहन सेवा के हैं बुरे हाल, परिवहन विभााग ने पहली बार समझा आदिवासियों की इस पीड़ा को, उठाया ये कदम इस अध्यादेश का विरोध करने के लिए बार एसोसिएशन के आह्वान पर अधिवक्ता जिला न्यायालय परिसर में एकत्रित हुए तथा राज्य सरकार के खिलाफ ज्ञापन नारेबाजी करते हुए जुलूस के रूप में जिला कलेक्टर पहुंचे तथा कलेक्टर के आने तक पोर्च में धरना दिया। नारेबाजी की कलेक्टर को दिए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि सरकार इस अध्यादेश को वापस ले नहीं तो बार एसोसिएशन आगामी दिनों में आम जनता के साथ जुडकऱ अनिश्चितकालीन आंदोलन करेगा।प्रदर्शन में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य राव रतन सिंह, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र नागदा, उपाध्यक्ष विजय सिंह चौहान, वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिलाल पामेचा, शंभू सिंह राठौड़, रमेश नंदवाना, सत्येंद्र पाल सिंह छाबड़ा, अधिवक्ता अरुण व्यास, हरीश पालीवाल, मनीष शर्मा, पराग अग्रवाल, हरीश शर्मा, कुंदन, मेनारिया, नोटरी एसोसिएशन के अध्यक्ष त्रिलोक दशोत्तर, दीपिका साधवानी, विजय लक्ष्मी पवार सहित डेढ़ सौ से ज्यादा अधिवक्ता मौजूद थे।