संक्रमण मानवीय कृत्यों का परिणाम डॉ. मेहरा नेे विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में उद्घाटित तथ्यों पर बताया है कि वर्तमान कोरोना वायरस मानव द्वारा प्रयोगशाला में तैयार करके सीधे ही मनुष्य में प्रवेश का माध्यम दिया गया अर्थात यह संक्रमण मानवीय कृत्यों का परिणााम है न कि कोई प्राकृतिक आपदा का। उन्होंने बताया कि वन्यप्राणी तो इस वायरस को अपने भीतर रखते हुए उसे फैलने से रोकते हैं। वन्यप्राणियों के किसी भी प्रकार से मनुष्य के सीधे संपर्क में आने पर भी इस वायरस की आक्रामकता नहीं होती क्योंकि यह वन्यप्राणी से सीधे मनुष्य में पहुंच ही नहीं सकता। इस स्थिति में चमगादड़ को कोरोना वायरस संक्रमण के लिए खलनायक के रूप में प्रदर्शित करना मनुष्य द्वारा स्वयं की चूक पर पर्दा डालने जैसा ही है।
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डॉ. मेहरा ने बताया कि मनुष्य में संक्रमण फैलाने हेतु विषाणु कभी भी वन्यजीव से सीधे नहीं आता। इसे कई चक्रों के माध्यम से गुजरना पड़ता है तब वह मनुष्य तक प्राकृतिक रूप से पहुंचता है। उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ विषाणु लाभदायक है तो कुछ हानिकारक भी। हानिकारक विषाणु या जीवाणुओं के लिए प्रकृति ने पोषण हेतु संसाधनों की भरमार कर रखी है, इसीलिए इनका सीधे ही मनुष्य में प्रवेश पाना अत्यंत कठिन होता है। जब तक कि हानिकारक विषाणु या जीवाणुओं के संसाधन को मनुष्य नहीं छेड़ता अथवा समाप्त करता है तब तक इन संक्रमणों का मनुष्य में प्रवेश पाना संभव नहीं है। यह प्रकृति का नियम है।