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रुक्मिणी को ब्याहने चले भगवान कृष्ण, श्रद्धा बनी घराती और बाराती

locationउदयपुरPublished: Aug 09, 2019 12:19:57 am

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

bhagwat katha भागवत कथा श्रवण के दौरान भक्तों का उमड़ा सैलाब

bhagwat katha

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उदयपुर. Bhagwat Katha दूल्हे के शृंगार में चित्त को हरने वाले भगवान कृष्ण जैसे ही रुक्मिणी को ब्याहने चले तो कुछ भक्तजन आराध्य के सखा बन बराती बन गए तो कुछ बरात का स्वागत करने वाले घराती। रुक्मिणी को बेटी बनाने और भगवान का दामाद बनाने की होड़ नजर आई।यह दृश्य गुरुवार को यहां आरएमवी में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा प्रेमयज्ञ महोत्सव में रहा। कथाव्यास श्रीकृपा व्यास ने कंस वध और देवकी-वासुदेव से भगवान कृष्ण के मिलन का प्रसंग सुनाया। इस दौरान देवकी और कृष्ण के मिलन के वर्णन में कई महिलाओं की आंखें भर आईं। हरिआमे नमो नारायण, श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि। तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी। तूने भक्तों की नैया तारी तारी। भजन पर भक्तजन खूब झूमे। इसके बाद रुक्मिणी विवाह का प्रसंग हुआ। इस प्रसंग के लिए विशेष रूप से झांकी सजाई गई। झांकी में तुलसीजी की क्यारी भी रखी गई। विविध मिष्ठान्न, वस्त्र आदि भी झांकी में सजाए गए। विवाह के बाद महाआरती हुई और भक्तों में प्रसाद बांटा गया। बतौर अतिथि भीलवाड़ा से भागवत पाठी राकेश मिश्रा, जगदीश मंदिर के पुजारी नरोत्तम एवं अन्य मौजूद थे।
ध्वजा परिवर्तन कल
गणगौर घाट स्थित धनेश्वर महादेव मंदिर पर श्रीमाल समाज की ओर से ध्वजा परिवर्तन कार्यक्रम शनिवार सुबह ११ बजे होगा। भगवान का दुग्धाभिषेक व जलाभिषेक होगा। दोपहर २.३० बजे महाआरती का आयोजन होगा। बाद में महिलाओं की ओर से भजन-कीर्तन होंगे।
श्रीराम सेना की ओर से कावड़ यात्रा
श्रीराम सेना की उमरड़ा स्थित खाकलदेव मंदिर परिसर में हुई बैठक में रविवार सुबह १० बजे कावड़ यात्रा निकालने पर सहमति बनी। उमरड़ा इकाई अध्यक्ष जगन्नाथ मीणा ने बताया कि खाकलदेव मंदिर से यात्रा प्रारंभ होकर चारभुजा मंदिर, लकड़वास चौराहा, धामन्दर व कोटड़ा होते हुए झामेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेगी।
तुलसीदास जयन्ती पर सुन्दरकाण्ड पाठ
सनाढ्य समाज साहित्य मण्ड़ल के तत्वावधान में हिरण मगरी-प्रभात नगर के मन कामेश्वर मंदिर में गुरुवार राम चरित मानस के रचयिता राष्ट्रकवि गोस्वामी तुलसी दास की 508वीं जयन्ती मनाई। बतौर अतिथि सतीशचंद्र भारद्वाज, रमेशचंद्र तिवारी व रामस्वरूप हेड़ा ने कार्यक्रम में शिरकत की। bhagwat katha समाजजनों ने सामूहिक सुंदरकांड का पाठ कर महाकवि को आध्यात्मिक श्रद्धांजलि दी।
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