विधायक भीण्डर ने लिखा कि मेवाड़ क्षेत्र में खासतौर पर उदयपुर जिले में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए देवास-मानसीवाकल प्रभावशाली योजनाएं हैं। इसको शुरू करने से लेकर अब तक सरकार का सहायोग रहा। इस स्कीम में ना केवल उदयपुर की झीलें लबालब हो रही है, बल्कि पेयजल समस्या का समाधान भी हो सका है।
याद दिलाया करार
योजना की शुरुआत में सरकार ने नाबार्ड से लोन लेने की बातचीत की थी। नाबार्ड की ओर से सरकार से पूछा गया था कि योजना से लाभान्वित कौन होंगे, तो सरकार ने उदयपुर को पेयजल उपलब्ध करवाना बताया था। नाबार्ड अधिकारियों ने कहा था कि हमारा बैंक ग्रामीण क्षेत्र का बैंक है और हम शहरी योजनाओं को लागू करने में सहयोग नहीं कर सकते। काफी विचार विमर्श के बाद सरकार और नाबार्ड में जो एमओयू हुआ था, उसमें लिखा था कि योजना से वल्लभनगर और मावली क्षेत्र के ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध होगा।
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बेबस है जनता
ऐसे में सरकार की अनदेखी को प्रभावित लोग बेबस होकर देख रहे हैं। हमें उदयपुर को पेयजल उपलब्ध कराने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उदयपुर को इस योजना के अलावा भी जयसमन्द और आरएसएसएस खदानों से पानी सप्लाई हो रहा है। भींडर ने मांग की है कि इस तरह से वल्लभनगर क्षेत्र की जनता की पेयजल समस्या को लेकर अनदेखा नहीं किया जा सकता।
बेबस है जनता
ऐसे में सरकार की अनदेखी को प्रभावित लोग बेबस होकर देख रहे हैं। हमें उदयपुर को पेयजल उपलब्ध कराने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उदयपुर को इस योजना के अलावा भी जयसमन्द और आरएसएसएस खदानों से पानी सप्लाई हो रहा है। भींडर ने मांग की है कि इस तरह से वल्लभनगर क्षेत्र की जनता की पेयजल समस्या को लेकर अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इन गांवों को भुला दिया मुझे लगता है कि वल्लभनगर क्षेत्र के जिन गांवों में योजना से पानी पहुंचाने का करार नाबार्ड से किया गया था, वो बात पीएचईडी और राज्य सरकार ने जान बूझकर भुला दी है। वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के नान्दवेल, टूस डांगीयान, गुपड़ी, महाराज की खेड़ी, करणपुर, दरोली, ढावा, बालाथल, गोटिपा, वल्लभनगर, धमानिया, तारावट, भटेवर, नवानिया, रूण्डेडा, बरोडिया, वाना, मेनार, खेरोदा, खरसाण, बाठेड़ाकलां, बाठेडाखूर्द आदि कई गांव पेयजल समस्या से जूझ रहे है।