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अपनों के बगावती तेवर से खिन्न वल्लभनगर विधायक, बोले-बाहरी ताकतें सक्रिय

locationउदयपुरPublished: Sep 25, 2017 03:11:18 pm

Submitted by:

Mukesh Hingar

वल्लभनगर विधायक रणधीरसिंह की चिंताएं बढ़ीं

उदयपुर . भीण्डर नगर पालिकाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले पार्षदों की ‘गुमशुदगी’ ने जनता सेना के मुखिया एवं वल्लभनगर विधायक रणधीरसिंह की चिंताएं बढ़ा दी है। अपनों के बगावती तेवर से खिन्न विधायक ने पार्षदों को एक मौका देते हुए यह संदेश भेजने की कोशिश की है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दिन वह पार्टी के समर्थन में रहकर विश्वास नहीं तोड़ेंगे तो उनकी गलती माफ करने योग्य रहेगी। अन्यथा क्षेत्र की जनता और पार्टी इन पार्षदों को माफ नहीं करेगी।
उदयपुर की एक निजी होटल में रविवार को विधायक सिंह ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि क्षेत्र की जनता ने संगठन और उन पर विश्वास जताते हुए पार्षदों को जीत दिलाई थी। कुछ पार्षद तो ऐसे भी हैं, जिन्हें बोर्ड की बैठकों के अलावा कभी वार्ड में नहीं देखा जाता। ऐसे सभी लोग आज बगावत कर संगठन से धोखा करने में आमादा हैं। इधर, विधायक ने किसी का नाम लिए बगैर
दोहराया कि कुछ बाहरी ताकतें उनके संगठन में सेंधमारी कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पार्षदों की खरीद-फरोख्त भी की गई है। गौरतलब है कि पालिकाध्यक्ष गोवद्र्धन भोई के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले पालिका उपाध्यक्ष गिरीश सोनी एवं जनता सेना के 13 पार्षद क्षेत्र से लापता हैं। उनकी बाड़ेबंदी की हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले संगठन के लिए यह मौका और भी चुनौती बनकर उभर रहा है।
पहली बार एडीएम को सौंपी कमान
विधायक सिंह ने आरोप लगाया कि अविश्वास प्रस्ताव के मामले में अब तक उपखण्ड अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाती रही है, लेकिन यह पहला मौका है, जब प्रशासनिक स्तर पर एडीएम को इसकी कमान सौंपी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ीसादडी में 11 सितम्बर को पेश अविश्वास प्रस्ताव के ऐसे ही मामले में जिला प्रशासन ने 30 अक्टूबर की तिथि तय की है, लेकिन उदयपुर में राजनीतिक दबाव के बीच जिला प्रशासन ने न्यूनतम समयावधि देते हुए महज 13 दिन का समय दिया है। विधायक ने कहा कि प्रशासन पर बनाया गया दबाव भाजपा की शक्तियों को उजागर करता है।

महत्वाकांक्षी है उपाध्यक्ष
विधायक का आरोप है कि प्रोपर्टी कारोबार से जुड़ा पालिका उपाध्यक्ष पहले से ही पालिका अध्यक्ष बनने के लिए महत्वाकांक्षी था, लेकिन हमेशा की तरह पार्टी ने पालिकाध्यक्ष भोई को बना दिया। दो साल के बोर्ड में उपाध्यक्ष ने कभी अध्यक्ष पद की मंशा नहीं जताई। अगर उपाध्यक्ष सोनी की ओर से पार्षदों को समर्थन था तो उन्हें अविश्वास का रास्ता चुनने की बजाय व्यवस्था बदलने के लिए उन्हें एक मौका देना चाहिए था।
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