भूपालसागर मेवाड़ शुगर मिल्स के 45 साल पुराने प्रकरण पर फैसला, जमीन होगी सरकार के नाम
करीब 100 करोड़ की कीमत जमीन की

उदयपुर. चित्तौडगढ़़ जिले के भूपालसागर में स्थित दी मेवाड़ शुगर मिल्स लि. की 4228 बीघा 18 बिस्वा जमीन बिलानाम घोषित कर दी है, इससे उदयपुर व चित्तौडगढ़़ जिलों में अलग-अलग स्थानों पर स्थित जमीन वापस सरकार की हो गई है।
करीब 45 साल बाद पुराने इस प्रकरण पर अतिरिक्त जिला कलक्टर न्यायालय उदयपुर ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए जमीन एक महीने में सरकार के नाम दर्ज करने व तीन महीने में अतिक्रमण हटा कब्जे लेने के आदेश देते हुए संबंधित तहसीलदारों को पालना रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। चर्चित इस फैसले की जमीन करीब 100 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
राजस्थान सरकार के जरिए सराड़ा, सलूंबर, कपासन व भूपालसागर तहसीलदार बनाम दी मेवाड़ शुगर मिल्स भूपालसागर के प्रार्थना पत्र पर उदयपुर के अतिरिक्त कलक्टर ओ.पी.बुनकर ने फैसला सुनाया। निर्णय सुनाते ही उन्होंने तहसीलदार सराड़ा, सलूम्बर, भूपालसागर को निर्देश दिए कि विपक्षी मेवाड़ शुगर मिल्स के नाम वर्ष 1963 में दर्ज समस्त भूमि के हाल खसरा नम्बरान को एक माह में बिलानाम सरकार (राज्य सरकार के नाम) दर्ज कर तीन माह के भीतर समस्त भूमि पर से अतिक्रमियों को बेदखल कर, कब्जा प्राप्त कर पालना रिपोर्ट इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि संबधित तहसीलदार साबिक खसरा नंबर का हाल नंबर देखकर उसका नामान्तरकरण राजकीय भूमि का दर्ज करेंगे।
खरीदार को विक्रेता से रकम प्राप्त करने का अधिकार होगा
कोर्ट ने कहा कि प्रकरण में उजरदारों, के्रताओं के हितों के संरक्षण को ध्यान मे रखते हुए धारा-30-डी(3) में वर्णित प्रावधानानुसार अधिग्रहण योग्य भूमि के अवैध एवं अपंजीकृत खरीदार को विक्रेता से विक्रय मूल्य की रकम प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार होगा एवं भूमि को भारमुक्त कराने का समस्त दायित्व विपक्षी मेवाड़ शुगर मिल्स का रहेगा। पूरी प्रक्रिया होने के बाद अप्रार्थी मेवाड़ शुगर मिल्स 30 स्टेण्डर्ड एकड़ भूमि रखने का विकल्प एक वर्ष के भीतर नियमानुसार इस न्यायालय में प्रस्तुत करने को स्वतंत्र रहेगा।
सहयोग नहीं किया तो प्रार्थना पत्र पर विचार नहीं
फैसले में कहा कि शुगर मिल की ओर से एक वर्ष के भीतर विकल्प प्रस्तुत न करने अथवा भूमि को भारमुक्त करने में सहयोग न करने पर अप्रार्थी के प्रार्थना पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा। संबंधित तहसीलदार इस आदेश की पालना की प्रगति रिपोर्ट प्रति माह इस न्यायालय को तीन माह तक प्रेषित करेंगे तथा एक वर्ष बाद समेकित एवं अन्तिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। संबंधित तहसीलदारों से सम्पूर्ण अधिग्रहित भूमि की रिपोर्ट प्राप्त होने पर ही मेवाड़ शुगर मिल्स को 30 स्टेण्डर्ड एकड़ भूमि देने के प्रार्थना पत्र पर विचार होगा, अन्यथा अप्रार्थी द्वारा जो भारयुक्त विवादित भूमि उत्पन्न की है, उसी विवादित भूमि की गणना उसके 30 स्टेण्डर्ड एकड़ भूमि में से मानी जाएगी।
और भी जमीन होगी तो उसे अधिग्रहित माना जाएगा
फैसले में कहा कि इसके अतिरिक्त भी अन्य कोई भूमि, जो विपक्षी मेवाड़ शुगर मिल्स के नाम दर्ज हो, किन्तु उसकी घोषणा नहीं की गई हो, उसे भी इस आदेश से अधिग्रहित माना जाकर राजसात की जाए।
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