तलाऊ बाध उदयपुर से करीब 85 किलोमीटर दूर है। दो नदियों के संगम से बने इस विशाल बांध की पाल बहुत लम्बी है। तालाब से चार किलोमीटर दूरी पर किशन करेरी, आठ कि.मी. की दूरी पर बड़वाई व 8 कि.मी. की दूरी पर नागावली तलाब है। इस तरह से यह जलाशय मुख्य जलाशय तथा छोटे जलाशय सेटेलाईट की तरह व्यवहार करते प्रतीत होते है। बताते है कि इस जलाशय की शो लाइन बड़ी है और वह अधिक संख्या में पक्षियों को आश्रय देती है।
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वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सतीश कुमार शर्मा बताते है कि जलाशय की पाल टेड़ी मेड़ी होने से पक्षियों की पसंद है, इस तलाब की विशालता का अंदाजा इसके अन्दर जगह-जगह बने टापू है जो कि प्रवासी तथा अप्रवासी पक्षियों की आश्रय स्थली बने हुए है। डॉ. शर्मा बताते है कि गर्मियों के दौरान जब अन्य जलाशयों में पानी सूख जाता है तो अन्य जलाशय से पक्षी इस तालाब के टापूओं पर कोई व्यवधान नहीं होने से विश्राम करने रूस्टिंग करने तथा घोंसला बनाने आते है। इसके अलावा जब पक्षियों के गु्रप टूट जाते है तो पुन: ग्रुप का निर्माण करने जलाशय के टापूओं को एक अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में लेते है जिसे कोनग्रीनेशन कहते है।
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सतीश कुमार शर्मा बताते है कि जलाशय की पाल टेड़ी मेड़ी होने से पक्षियों की पसंद है, इस तलाब की विशालता का अंदाजा इसके अन्दर जगह-जगह बने टापू है जो कि प्रवासी तथा अप्रवासी पक्षियों की आश्रय स्थली बने हुए है। डॉ. शर्मा बताते है कि गर्मियों के दौरान जब अन्य जलाशयों में पानी सूख जाता है तो अन्य जलाशय से पक्षी इस तालाब के टापूओं पर कोई व्यवधान नहीं होने से विश्राम करने रूस्टिंग करने तथा घोंसला बनाने आते है। इसके अलावा जब पक्षियों के गु्रप टूट जाते है तो पुन: ग्रुप का निर्माण करने जलाशय के टापूओं को एक अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में लेते है जिसे कोनग्रीनेशन कहते है।
पानी पूरी तरह से नहीं सूखता
पक्षीविद् प्रदीप सुखवाल बताते है कि इस जलाशय की विशालता है कि गर्मियों के दौरान ये पूरी तरह से नहीं सूखता है, इसमें पानी की उपलब्धता बनी रहती है जिससे मछलियां जीवित रहती है तथा प्रजनन भी करती है जिससे पक्षियों के लिए आहार की पूर्ति होती रहती है। पर्यावरण प्रेमी भारती शर्मा बताती है कि वहां कुछ लोगों का मानना है कि इस जलाशय के टापूओं पर यदि बबूल के बीज डाल दिए जाए तो अच्छे पारिस्थिकि तंत्र का निर्माण हो सकता है, पक्षी इन पेड़ों पर बैठना तथा घोंसला बनाना पसंद करते है, हालाकिं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इसे मुल स्वरूप में ही रखा जाना चाहिए।
READ MORE: उदयपुर में तीन महीने में लगेगी रानी पद्मिनी की प्रतिमा, विभूति पार्क में एक करोड़ में स्थापित होंगी नौ मूर्तियां भारती कु अनुसार वहां पक्षियों के बड़े झूण्डों को उड़ते हुए देख सकते है, किशन करेरी की तरह यह जलाशय सारस क्रेन को रास आता है। तालाब के टापूओं पर कॉरमोरेन्ट ऑपन बिल स्टार्क आदि पक्षियों के कई घोसंले दिखाई देते है तथा प्रजनन भी होता है।