जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित मेनार गांव दो खूबसूरत जलाशयों के मध्य प्रकृति की गोद में बसा है। इसकी शांत एवं सुकूनभरी आबोहवा हजारों किलोमीटर दूर से आने वाले प्रवासी पक्षियों को पनाह देती है। इसी कारण इसे बर्ड विलेज के नाम से जाना जाता है। करीब 150 तरह के देशी-विदेशी प्रवासी परिंदों की आश्रय देते हैं इस गांव के दोनों जलाशय।
आम की टहनियों पर चमगादड़ों की बस्तियां
गांव के लोगों ने दोनों तालाब ब्रह्म सागर व धण्ड तालाब केवल परिंदों के लिए आरक्षित कर रखा है। पिछले कुछ बरसों से मेनार प्रवासी पक्षियों के साथ ही स्थानीय पक्षियों के आवास तथा प्रजनन के लिए आकर्षण का केन्द्र बन हुआ है। ब्रह्म तालाब के किनारे पर भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित है जो दूर से दिखाई देती है। तालाब के किनारे पर आमों की वृक्षावली है जिसकी टहनियां पर चमगादड़ों की बस्तियां है। शाम को चमगादड़ों के पानी पीने की क्रिया बहुत ही मनमोहक होती है।
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का पसंदीदा स्थल : मेनार पक्षी प्रेमी फोटोग्राफर्स का भी प्रिय स्थल है। दिसम्बर में होने वाले बर्ड फेयर के दौरान पक्षी प्रेमी मेनार आते हैं और सुदूर देशों से आए पक्षियों की गतिविधियां देखने के साथ ही इन्हें कैमरे में कैद करते हैं। गांव वालों ने आरक्षित तालाबों पर पक्षी दर्शन, पक्षी विहार के बोर्ड भी लगा रखे हैं। पक्षी दर्शन के लिए पहुंचने वाले लोगों को वहां पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है। गांव के युवाओं की टीम हर रविवार को तालाब के आसपास सफाई अभियान में भागीदारी निभाती है।
राहुल भटनागर, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव)