उदयपुर

उदयपुर का बर्ड पार्क होगा पंछियों के प्राकृतिक आवास की तरह , मिलेगा मुफीद माहौल

गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने किया भूमि पूजन, करीब 11.50 करोड़ रुपए की लागत से

उदयपुरAug 15, 2017 / 07:43 pm

Mukesh Hingar

उदयपुर. लेक सिटी में बनने वाले वर्ल्ड क्लास बर्ड पार्क का काम मंगलवार शाम को शुरू हुआ। बंद किए गुलाबबाग़ जू परिसर में ही अब बर्ड पार्क स्वरूप लेगा। करीब 11.50 करोड़ रुपए की लागतसे बनने वाले पार्क के कार्य का भूमि पूजन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने किया। कटारिया ने कहा कि इस बर्ड पार्क का कार्य समय पर पूरा हो जाए और इसकी गुणवत्ता पर सतत निगरानी रखी जाए। उन्होंने वन विभाग के अफसरों से कहा कि बर्ड पार्क देश एवं विदेश के बर्ड पार्क से अपनी अलग विशेषता रखें इस तरह का स्वरूप इसका दिया जाए। मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर और उप वन संरक्षक हरिणी वी.ने स्वागत किया। पार्क को लेकर जो राशि खर्च हो रही है उसमें 25-25 प्रतिशत अंशदान यूआईटी एवं नगर निगम का रहेगा बाकी राशि केंद्र सरकार देगी।
अधिकारियों का दावा है कि सिंगापुर और हैदराबाद फिल्मसिटी के चिडिय़ाघर जैसे स्वरूप वाला हमारा बर्ड पार्क वल्र्ड क्लास होगा। परिंदों को पिंजरों के बजाय एनक्लोजर (बाड़े) में रखा जाएगा। माहौल भी ऐसा रखा जाएगा कि पक्षियों को घुटन न हो। उन्हें प्राकृतिक आवास की अनुभूति होगी। डिजाइन को लेकर बताया गया कि अमूमन चिडिय़ाघरों में पिंजरे बनाए जाते रहे हैं, लेकिन उदयपुर बर्ड पार्क में एनक्लोजर ही होंगे। पक्षी बड़े हो या छोटे, पिंजरों में न परवाज भर पाते हैं, न स्वच्छंद महसूस करते हैं। इसका असर उनकी नैसर्गिक गतिविधियों, आहार आदतों पर भी पड़ता है।
 …
मिट्टी के टीले, रेत, पोंड से देंगे मुफीद माहौल
बर्ड पार्क का डिजाइन फाइनल करने वालों का मानना है कि पुराने चिडिय़ाघरों में पक्षियों के बसेरे चूंकि पिंजरों में होते थे, इसलिए उनमें ईकोलॉजिकल स्थिति नहीं होती थी। भोजन-पानी लगातार मिलने के बावजूद पक्षी कुदरती रूप से सक्रिय नहीं रहते। एनक्लोजर में उन्हें उनके प्राकृतिक आवास की तरह हर वो सुविधा मुहैया करवाएंगे, जिसमें उन्हें उछल-कूद, आराम समेत हर काम की आजादी मिले।
 

READ MORE: तिरंगे रंग में रंगा उदयपुर, शान से मना जश्न-ए-आजादी, देखें तस्वीरें 

 

इन बाड़ों में छोटी घास, मिट्टी के टीले, दीमक के घरौंदे विकसित किए जाएंगे। पहाड़ीनुमा जगह, रेगिस्तानी स्वरूप, झाड़ीनुमा जगह व छोटे जलाशय भी होंगे। जलाशयों में मछलियां भी डाली जाएंगी, ताकि शिकार करने वाले पक्षी इसी प्राकृतिक आदत से आहार लें। कोशिश रहेगी कि जो पक्षी जिस आबो-हवा में रहता-पलता है, उसे वैसा आदर्श माहौल मिले।
….
ऐसे चहकेंगे परिंदे
-5.11 हैक्टयर क्षेत्र में बनेगा 
-11 वर्ग के पक्षी लाएंगे
-100 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी 
-11.49 करोड़ रुपए का प्लान
-8 करोड़ की राशि पर्यटन विभाग
-1.74 करोड़ यूआईटी का अंशदान
-1.74 करोड़ नगर निगम अंशदान
-1.85 करोड़ इन्फास्ट्रक्चर पर लगेंगे
-9.26 करोड़ एनक्लोजर पर लगेंगे
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.