विधायक- 04 महापौर नगर निगम, सभापति नगर परिषद, अध्यक्ष नगरपालिका- 53
प्रधान, सरपंच, पंचायतीराज- 214 कुल योग- 271 —–
ये है खास पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों के तहत गांवों में सरपंच तथा वार्ड पंचों का चुनाव दलीय, राजनीतिक पार्टी आधार पर लडऩे का कोई प्रावधान नहीं है। पंचायतीराज कानून लागू होने के बाद सरपंच व वार्ड पंचों के लिए किसी भी राजनीतिक दलों की ओर से अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए जाते हैं।
—–
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के अनुसार यदि किसी जनप्रतिनिधि को विभिन्न अधिनियमों के अपराध दो वर्ष व इससे अधिक से दण्डनीय से संबंधित अलग-अलग धाराओं में दोष सिद्ध पाया जाता है तो वह दोष सिद्ध होने की तिथि से लेकर सजा पूर्ण होने के बाद 6 वर्ष तक जन प्रतिनिधि के चुनाव में भाग लेने के लिए योग्य नहीं होगा। इसी प्रकार पंचायती राज. अधिनियम 1994 की धारा 38 के अन्तर्गत पंचायती राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधि, जिनके विरुद्ध नैतिकता अधमता संबंधी प्रकरण विचार के लिए न्यायालय में लंबित हो, उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का प्रावधान वर्णित है।
ये है उदयपुर के मामले – वर्ष 2013- हुक्मीचंद गमेती, तत्कालीन सरपंच ग्राम पंचायत सवीना, पंस गिर्वा- 2015 को चालान पेश – आठ दिन जेल
– वर्ष 2013- शारदा बाई- तत्कालीन सरपंच आमीवाड़ा, झाडोल, 2018 को चालान पेश, पांच दिन जेल
– वर्ष 2017- रामेश्वरलाल मेघवाल, तत्कालीन सरपंच, फतेहलाल जैन उप सरपंच, नंदकिशोर शर्मा, वार्ड पंच, भरतकुमार सेन वार्ड पंच ग्राम पंचायत गुन्दाली, प्रकरण जांच में है।
– वर्ष 2015- भूरसिंह- तत्कालीन सरपंच, ग्राम पंचायत पलासमा, पंचायत समिति गोगुन्दा, 5 से 8 अप्रेल तक न्यायिक अभिरक्षा में तीन दिन।
– वर्ष 2013- बंशीलाल कुम्हार, तत्कालीन सरपंच, ग्राम पंचायत बेदला, दो दिन जेल, आरोप पत्र कोर्ट में पेश करना शेष।