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विषय विशेषज्ञों को ताक में रख अन्य शिक्षकों से लिखवा दी पुस्तक

locationउदयपुरPublished: Jun 05, 2019 08:59:18 am

Submitted by:

Bhuvnesh

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की कारस्तानीबारहवीं में पहली बार पढ़ाई जाएगी पर्यावरण-विज्ञान पुस्तक

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (आरबीएसई) की ओर से इस बार पहली बार शुरू किए जा रहे पर्यावरण विज्ञान विषय की पुस्तक विषय से संबंधित शिक्षकों से नहीं लिखवाने का गंभीर मामला सामने आया है। इसके पीछे दलील यह दी जा रही है कि राज्य में शिक्षक संवर्ग में फस्र्ट ग्रेड के कोई शिक्षक नहीं है, लेकिन जब इसकी पूरी हकीकत खंगाली तो कहानी कुछ दूसरी ही निकली।
जब शिक्षक मौजूद तो इन्हें क्यों लिया ?
इस पुस्तक की निर्माण समिति में आरबीएसई के सुनील दत्त पुरोहित, बीएल चौधरी, शिवानी स्वर्णकार शामिल है, जिन्होंने पुस्तक लिखी है। इसमें दत्त एमएलएसयू के पूर्व आचार्य व विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान, चौधरी पूर्व कुलपति रहे और बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। चौधरी भी वनस्पति विज्ञान विषय के विभागाध्यक्ष रहे हैं। इसी प्रकार स्वर्णकार मीरा कन्या महाविद्यालय में भूगोल की व्याख्याता हैं।
विषय के शिक्षक फिर भी अन्य से क्यों तैयार कराई
जयपुर, जोधपुर, अजमेर और उदयपुर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान यानी एन्वायरमेंट साइंस विषय संचालित हैं। हर विवि में इस विषय के प्रोफेसर हैं। इसके बावजूद विवि के अन्य शिक्षकों से ये पुस्तक तैयार करवाई गई है। सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में इस विषय के प्रोफेसर बीआर बामनिया ने बताया कि अन्य विषयों के शिक्षकों से ये पुस्तक तैयार करवाई गई है। एेसे में इसकी विषयगत गंभीरता प्रभावित हो रही है।
इनका कहना है
राजस्थान में यह पुस्तक पहली बार तैयार की जा रही थी। इसके कोई स्कूली व्याख्याता नहीं थे। एेसे में इसे अन्य विषयों के शिक्षकों से तैयार करवाया गया। जिन विषय के शिक्षकों ने इसे लिखा है, उस विषय से जुड़ा पाठ्यक्रम है। ये केवल एेसे शिक्षक चर्चा में लाए होंगे, जिन्हें किताब लिखनी होगी। शिक्षकों का स्तर देखकर ही पुस्तक लेखन के लिए लिया जाता है।
प्रो.बीएल चौधरी, पूर्व अध्यक्ष आरबीएसई
विशेषज्ञ बैठे हैं इसके बावजूद न तो उन्हें एडवाइजरी कमेटी में रखना और न ही उन्हें एडिटोरियल बोर्ड में रखना गलत है। कुछ नहीं तो उनसे राय लेनी ही चाहिए। वनस्पति विज्ञान और भूगोल वाले किताब बनाए तो फिर इस विषय के प्रोफेसर्स क्या करेंगे?
प्रो. निधि राय, पर्यावरण विज्ञान, सुखाडिय़ा विवि, उदयपुर
इस बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। जो अध्यक्ष होते हैं, वे ही तय करते हैं कि किसे लेखन के लिए लेना है और किसे नहीं ? हमारा काम केवल उनके निर्देशों की पालना करना है। इसके बारे में वे या उच्चाधिकारी ही ज्यादा बता सकते हैं।
भानुप्रताप, निदेशक (एकेडमिक) आरबीएसइ
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