उदयपुर

रिश्वत कांड के खुलासे के बाद बुकिंग क्लर्क को जेल, फरार वित्त प्रबंधक का पता नहीं, अभी और खुलेंगे राज..

– ब्यूरो ने क्लर्क को रिश्वत लेते पकड़ा था

उदयपुरJun 17, 2019 / 12:54 pm

madhulika singh

रिश्वत कांड के खुलासे के बाद बुकिंग क्लर्क को जेल, फरार वित्त प्रबंधक का पता नहीं, अभी और खुलेंगे राज..

उदयपुर. राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के उदयपुर आगार परिसर में रिश्वत लेते पकड़े गए बुकिंग क्लर्क को न्यायालय ने जेल भेज दिया जबकि फरार वित्त प्रबंधक का अभी पता नहीं चला। रिश्वत के इस कांड के खुलासे के बाद दुकानदारों ने भी आरोपियों के खिलाफ शिकायत करते हुए कई ऐसे राज बताए जिससे पता चला कि यहां कई मामले में मिलीभगत का खेल चल रहा है। ब्यूरो टीम अभी पूरे मामले की जांच में जुटी है।
ब्यूरो टीम ने शनिवार को रोहित पुत्र सुखलाल मेनारिया से 8600 रुपए की रिश्वत लेते बुकिंग क्लर्क खेमपुरा निवासी हीरालाल पुत्र लक्ष्मीलाल लोहार को गिरफ्तार किया था तथा मौके से वित्त प्रबंधक उदयपुर विद्यानगर सेक्टर-4 स्थित राधाकृष्ण अपार्टमेंट निवासी चन्द्रप्रकाश पुत्र नारायणलाल कचोरिया फरार हो गया था। टीम ने ट्रेप कार्रवाई के बाद दोनों आरोपियों के घर की तलाशी ली लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। बुकिंग क्लर्क को पेश करने पर न्यायालय ने उसे जेल भेज दिया। आरोपियों ने यह राशि रोडवेज बसस्टैण्ड पर लॉटरी में खुली दुकान को अन्य जगह स्थानांतरित नहीं करने के एवज में ली थी। ब्यूरो अधिकारियों ने बताया कि पकड़ में आया बुकिंग क्लर्क पूर्व में कंडक्टर था लेकिन शारीरिक विकलांगता के चलते उसे वह बुकिंग क्लर्क का काम देख रहा था।

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कई दुकानदारों के लिए कर रखी फंसावट
ब्यूरो अधिकारियों ने बताया कि उदियापोल बस स्टैण्ड पर हर तीन साल में दुकानों के टेंडर होते है। टेंडर में वाद विवाद होने पर मामला आर्बिटे्रशन में जयपुर सुनवाई के लिए जाता है। परिवादी पिछले 3 साल से वहां दुकान नम्बर 41 चला रहा है। इस अवधि में पेचवर्क का काम होने से व्यवयाय नहीं होने पर परिवादी ने 57 दिन अधिक दुकान चलाने के लिए कहा तो मामला आर्बिटे्रशन में चला गया। इस बीच इस दुकान के वापस टेंडर निकले तो परिवादी की पत्नी के नाम से ही निविदा खुली। आरोपी ने अब तक न तो उसकी पत्नी के नाम कब्जा सुपुर्द किया न ही पुराना मामला निपटाया। इसी तरह अन्य दुकानदारों के भी फंसावट कर रखी है। कई दुकानदारों ने पूर्व में दुकाने चलाने से भी मना कर दिया था। इस संबंध में उन्होंने जिला कलक्टर से शिकायत की थी।
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