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‘बने नया भारत’ : कौशल विकास, जैविक खेती बदल सकती गांवों की तस्वीर

locationउदयपुरPublished: May 26, 2020 11:37:12 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

राजस्थान पत्रिका के ‘बने नया भारत’ अभियान पर वेबीनार

बने नया भारत पर उदयपुर में वेबीनार

बने नया भारत पर उदयपुर में वेबीनार

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी के बीच इस संकट में शहरो से गांव की ओर कामगारों और मजदूरों का पलायन हो रहा है और अब वे जहां है वहीं रोजगार उनको मिल जाए। नए भारत की तस्वीर अब गांव-ढाणियों और खेतों पर दिख रही है बस जरूरत है तो उसको थोड़ा प्रोत्साहित करने की। गांवों में उपलब्ध संसाधनों को बढ़ाने, तकनीक की सुविधा उपलब्ध करने इन कामगारों का कौशल विकास ही तो करना होगा। पशुपालन, सब्जी उत्पादन, दूध उत्पादन से लेकर कई विकल्प गांवों में है। यह सब हो जाएगा तो बढ़ते शहरीकरण पर भी ब्रेक लगेगा और गांवों का विकास भी होगा और हम एक नए भारत का निर्माण करेंगे। यह बात सोमवार को राजस्थान पत्रिका के ‘बने नया भारत’ अभियान पर आयोजित वेबीनार में रखी गई। वेबीनार में उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स, फोर्टिज उदयपुर ब्रांच, श्रम संगठन, किसान, ग्रामीण परिवेश से जुड़े लोगों के अलावा कृषि विभाग, कृषि विवि व जिला प्रशासन से भी अधिकारी जुड़े। प्रस्तुत है सेमिनार में बोले वक्ताओं की मुख्य बातें-
छोटे-छोटे उत्पादन हमारी धरती पर कर सकते
आज बेशक भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 15 प्रतिशत है, इंडस्ट्री का 23 और सर्विस सेक्टर का 62 प्रतिशत है परंतु कृषि की अनदेखी नहीं की जा सकती। संकट में हर गांव में उपलब्ध संसाधनों के साथ हमें किसानों व इन कामगारों का कौशल विकास करना होगा। आज हम 25000 करोड रुपए की छोटी-छोटी वस्तुओ से लेकर बड़ी मशीनरी तक विदेशों से आयात कर रहे हैं जबकि हम इन चीजों का उत्पादन अपने देश में ही कर सकते हैं जिससे अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
– प्रो. नरेन्द्र सिंह राठौड़, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
गांवों में कृषि, पोल्ट्री फार्म एवं पशुपालन पर ध्यान दें
स्थानीय लोगों का स्किल डवलपमेन्ट कर उन्हें कारखानों में नियोजित करने की योजना तभी सफल होगी जब उसमें भाग लेने वालों की संख्या अपेक्षाकृत पूरी होगी। गांवों में कृषि, पोल्ट्री फार्म एवं पशुपालन आदि पर विषेश ध्यान देना होगा ताकि रोजगार के अवसर उपलब्ध हो जाएंगे। इसके लिये जरुरी है कि कृषि उत्पाद आधारित प्रसंसकरण इकाईयों की ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापना को प्रोत्साहन दिया जाए। उनके भण्डारन के लिए कोल्ड स्टोरेज लगाने को भी प्रोत्साहित किया जाए ताकि किसान को नुकसान नहीं होगा।
– रमेश कुमार सिंघवी, अध्यक्ष उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री
अलग-अलग कलस्टर बनाए

घरेलू उद्योगो को भी प्रोत्साहन देने की जरुरत हैं। सिंगल विंडो कन्सेप्ट पर एक सप्ताह मे उद्योग लगाने की प्रक्रिया पूरी हो। गांवों में रोजगार के लिए जैविक खेती को प्रमोट कर श्रमिकों को उनके राज्यों में ही रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं। कुटीर व छोटे उद्योगों के लिए अलग-अलग कलस्टर बनाकर उन्हें सरकारी रियायतें व उचित दर पर जमीन देकर प्रमोट करने की जरूरत है। स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए सम्पूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उद्योगों को बढ़ावा देकर ग्रामीण विकास पर फोकस करना होगा।
– प्रवीण सुथार, को चैयरमेन, फोर्टी उदयपुर ब्रान्च
इजरायल पैटर्न को अपनाएं

गांवों में खेती के स्ट्रंक्चर को ठीक करने के लिए इजरायल के पैटर्न को अपनाया जाए। किचन गार्डन को भी रूरल एरिया में भी बढ़ावा दिया जाए। कई छोटे-छोटे रोजगार के अवसर खड़े है बस उनको थोड़ा बेहतर व सुविधाजनक करने की जरूरत है।
– हेमंत जैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष यूसीसीआई उदयपुर
दूध उत्पाद भी रोजगार का बड़ा सेक्टर

फल, गुलाब जल, शर्बत, आंवला, सीताफल आदि से हमारे यहां के गांवों व जंगलों से बेहतर तरीके से विपणन किया जाए। मक्का के 100 प्रकार के प्रोडक्ट तैयार होते है और दूध उत्पाद ये भी रोजगार के लिए गांवों के लिए एक बड़ा सेक्टर है। इन सब पर प्लानिंग से कार्य किया जाए तो जरूर अच्छे परिणाम आएंगे।
– यू.एस. शर्मा, पूर्व कुलपति कृषि विवि
सामंजस्य से काम करना होगा

गावो मे लौटे कामगारों और बेरोजगारों को स्थानीय स्तर पर ही कृषि आधारित लघु उद्योग धंधों से जोडऩे की जरूरत है। इसके लिए सरकारी मशीनरी, स्वयं सेवी संस्थाओ, तकनीकी और कृषि विशेषज्ञों उद्योगपतियों, बैंकिंग सेक्टर को एक साथ सामंजस्य से कार्य योजना बनाने और कार्य करने की जरूरत है
– डा. सुबोध कुमार शर्मा, पीआरओ एमपीयूएटी

पहले सकारात्मक दिशा दें
जो स्थानीय मजदूर अन्य प्रदेशों से अपने गांव में आए है उनको अगर चयनित तरीके से स्थानीय उद्योगों के अनुरूप प्रशिक्षित किया जाए तो हम इस कमी को पूरा कर सकेंगे। इसके लिए सबसे पहले अनिश्चिता के माहौल को एक सकारात्मक दिशा देनी होगी।
– तरुण दवे, मार्बल उद्यमी

नीति को बढ़ावा देना होगा
कृषि के औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक आपूर्ति श्रंखला एवं आधारभूत संरचना आदि के लिए राजस्थान कृषि प्रसंस्करण कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति 2019 को बढ़ावा देना होगा। इससे कृषि उपज का प्रसंस्करण होगा तथा कृषकों को फसलों का उचित मूल्य मिलेगा।
– डॉ रवींद्र वर्मा, परियोजना निदेशक, कृषि विभाग
कई प्रकार की युनिट कर सकते शुरू

अपनी मंडी योजना या सब्जी मंडी में किसानों को खुद व्यवसाय करने की व्यवस्था होनी चाहिए। गांवों में टमाटो सोस, मसाला, बर्मी कम्पोसट, डेयरी उत्पाद, जैसे पत्तो की पत्तल दोने और प्लेट की युनिट शुरू कर सकते हैं। इससे प्लास्टिक से भी मुक्ति मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेगा
– विष्णु पटेल, किसान
सामुदायिक व सामूहिक खेती पर जोर

सबसे पहले हमें भूमिहीनों को भूमि दे भूमि सुधार लागू करने होंगे। हमे सामुदायिक व सामूहिक खेती पर जोर देना होगा। हमे गांव में युवाओं को स्किल डवलपमेंट के प्रशिक्षण देने होंगे और गांव में ही व्यापार व व्यवसाय के केंद्र विकसित करने होंगे। नरेगा जैसी योजनाओं को विकास व स्थाई निर्माण से जोडऩा होगा।
– राजेश सिंघवी, (श्रमिकों से जुड़े)
प्रवासी श्रमिकों के कौशल का हो उपयोग

जो श्रमिक आए है उनमें अलग-अलग प्रकार का कौशल है जो उद्योगों के लिए भी अनुकूल हो सकता है। इन्हें अपने घर के पास ही उनके कौशल के अनुरूप रोजगार का अवसर मिलेगा तो श्रमिक दुगुने उत्साह, श्रम के साथ कार्य कर बेहतर परिणाम दे सकते हैं।
– डॉ. कमलेश शर्मा, उपनिदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
श्रमिकों को सूचीबद्ध करें

हुनर के आधार पर वर्गीकृत करके बाहर से आए श्रमिकों को सूचीबद्ध किया जाए ताकि स्थानीय उद्योगों को अपनी जरूरत के अनुसार उनको तुरंत पहचानकर रोजगार देने में आसानी रहेगी। इजराइल की तकनीक से प्रेरणा लेते हुए कम पानी में आर्गेनिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाए।
– क्षितिज कुम्भट, अध्यक्ष उदयपुर सिटीजन सोसायटी
नई तकनीकी का विस्तार गांवों तक

सामुदायिक जैविक कृषि को गांवों में अपनाकर लागत करनी होगी। साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट से जोडकऱ किसानों एवं मजदूरों की आजीविका बढ़ाई जा सकती है। हमे पारिवारिक कृषि उद्योगों का पुन: गांवों में नई तकनीकी के साथ विकास करना होगा।
– डा.एस.के. शर्मा, जोनल डायरेक्टर रिसर्च एमपीयूएटी
पर्यटन पर भी फोकस हो

आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही गांवों में ही मैन्युफैक्चिरिंग का प्रबंधन हो। गेंहू, मक्का के उत्पादन को भी बढ़ाया जाए। पर्यटन भी रोजगार का बड़ा प्लेटफॉम है जिस पर भी काम किया जा सकता है।
– मनीष गलुंडिया, होटल उद्यमी
बंद उद्योग भी शुरू करें

सबसे पहले तो जो प्रवासी श्रमिक आए उनको चिन्ह्ति करके उनको यहां के उद्योगों में रोजगार देना होगा ताकि उद्योग भी चल पड़ेंगे और उनको भी रोजगार मिलेगा। साथ इनको प्रशिक्षण देना ही होगा। कुछ उद्योगों में खाली पड़ी जमीन पर सेनेटाइजेशन, मेडिकल आदि उद्योग स्थापित करने चाहिए।
– अजय पण्ड्या, सीनियर मैनेजर रीको
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दें

गांवों में पशुपालन, मुर्गीपालन, फल, सब्जियों की उन्नत खेती, मशुरूम की खेती, मधुमक्खी पालन आदि को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते है, इसकी अपार संभावनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में है।
– डा. एस.एल. मूंदड़ा, प्रसार शिक्षा निदेशक एमपीयूएटी
वेबीनार में आए ये प्रमुख सुझाव

– ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए
– उद्योग, पशुपालन व खेती को बढ़ाना होगा
– सामूहिक खेती पर फोकस करना होगा
– जो उद्योग बंद पड़े है उनको भी शुरू किया जाए
– कौशल प्रशिक्षण सबसे पहले दिया जाए
– प्रवासियों को श्रेणी वाइज चिन्ह्ति किया जाए
– गांवों में कोल्ड स्टोरेज के प्रबंध हो
– ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक विकास पर काम हो
– कृषि व अन्य उत्पाद के लिए विपणन पर काम हो
– जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
– संसाधन व सामुदायिक सेवा केन्द्रों का निर्माण किया जाए
– कृषि उत्पाद आधारित प्रसंसकरण इकाईयों की स्थापना हो
– मैकेनाइजशन को भी बढ़ावा देने की जरूरत
– श्रमिकों के कौशल की पहचान कर उसी अनुरूप रोजगार दें
– पशुपालन व डेयरी उत्पाद को बढ़ावा दिया जाए
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