यह बात गुरुवार को कलक्ट्रेट में सभागार में आयोजित जिलास्तरीय कृषि विकास समिति की बैठक में कृषि अधिकारियों ने कही। बताया गया कि रबी में गेहूंं की 83 हजार 251 हेक्टेयर में बुवाई के मुकाबले 2 लाख 43 हजार 93 मैट्रिक टन पैदावार होने का अनुमान है। खलिहान में प्रति हेक्टेयर 29.20 क्विंटल के अनुमान से गेहूंं उत्पादन होगा। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष 35 से 40 हजार मैट्रिक टन का अधिक उत्पादन होगा। गत वर्ष 2 लाख 6 हजार मैट्रिक टन ही गेंहू का उत्पादन हुआ था। चने की 16 हजार 349 हेक्टेयर में बुवाई के मुकाबले 19 हजार 47 मैट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले वर्ष के मुकाबले 7 हजार मैट्रिक टन अधिक उत्पादन की आस है। गत वर्ष चने का उत्पादन 12 हजार मैट्रिक टन ही था।
सरसों : कम बुवाई, फिर भी अधिक उत्पादन कृषि उपनिदेशक केएन सिंह ने बताया कि गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सरसों की बुवाई कम हेक्टेयर में होने के बाद भी अच्छी पैदावार होगी। इसके पीछे मुख्य कारण मौसम अनुकूल रहने व फसलों पर कीट व अन्य बीमारियां नहीं लगने से बेहतर उत्पादन होगा। साथ ही पानी की प्रचुर उपलब्धता के चलते फसलों के उत्पादन का आंकड़ा बढ़ा है। जिले में सरसों की 7 हजार 782 हेक्टेयर में बुवाई के मुकाबले 8 हजार 871 मैट्रिक टन उत्पादन की संभावना है। पिछले वर्ष सरसों का 5 हजार 161 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ था। इस हिसाब से साढ़े तीन हजार मैट्रिक टन अधिक उत्पादन होगा। जिले में अनाज व दलहनी फसलों का 95 हजार हेक्टेयर में बुवाई लक्ष्य के मुकाबले 1 लाख 13 हजार 378 हेक्टेयर बुवाई हुई है। इसकी वजह से तीन लाख मैट्रिक टन उत्पादन की संभावना है।