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बांस की खेती करनेवाले किसानों के लिए आई खुशखबर…केंद्र सरकार ने दी ये बड़़ी़ राहत

locationउदयपुरPublished: Nov 25, 2017 05:06:52 pm

Submitted by:

Umesh Menaria

बांस को काटने व निर्यात के लिए परमिट की अनिवार्यता होगी खत्म

bamboo
मेनार. बांस की खेती करनेवाले किसानों को बड़ी राहत देते हुए कैबिनेट ने वन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इस संशोधन के बाद गैर वन क्षेत्रों में बांस की खेती करनेवाले किसानों को बांस काटने व उन्हें दूसरे राज्यों में बेचने के लिए परमिट लेने की अनिवार्यता खत्म हो जायेगी।
जानकारी के अनुसार बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में वन अधिनियम 1927 में धारा 2(7) जोडऩे की इजाजत मिल गयी है । इस धारा में गैर वन क्षेत्रों में बांस की खेती करनेवाले किसानों को बांस काटने, उसके प्रसंस्करण व दूसरे राज्यों में निर्यात करने के लिए किसी प्रकार के परमिट की जरूरत नहीं पड़ेगी।बांस को वन अधिनियम में पेड़ माना गया है जिस कारण निजी जमीन पर उगनेवाले बांस को काटकर बेचने के लिए भी परमिट लेना पड़ता है। तमाम तरह की पेंचीदगी के कारण इससे जुड़े किसानों को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। सरकार के इस फैसले से बांस की खेती से जुड़े किसानों को राहत मिलेगी और उनकी आय में भी इजाफा होगा क्योंकि वे बिना रोकटोक बांस की कटाई, प्रसंस्करण व दूसरे राज्यों में निर्यात कर सकेंगे ।
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अब तक 3, 32,316 किसानों ने करवाया उपज को बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीयन
प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारिता अभय कुमार ने बताया कि राज्य में अब तक 3 लाख 32 हजार 316 किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपनी दलहन एवं तिलहन की उपज को बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीयन करवाया है। जिसमें से 1 लाख 58 हजार 61 किसानों को दिनांकों का आवंटन कर दिया है।
राजफैड के प्रबंध निदेशक, डॉ. वीना प्रधान ने बताया कि 80 हजार 119 किसानों को ऑनलाइन भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि किसान को उपज तुलाने के बाद 3 से 4 दिन में भुगतान कर दिया जाए, हम इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की योजना के अनुसार समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया 90 दिनों तक जारी रहती है। अत: लक्ष्यों के अनुसार खरीद हेतु किसानों की संख्या का आकलन किया जा रहा है। इसके आधार पर पंजीकृत किसानों को दिनांकों का आवंटन किया जाएगा ।
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