वन विभाग ने इस वर्ष कुंभलगढ़ व रावली-टाडगढ़ अभयारण्य की 12 रेंज में मई-जून के दौरान 4 लाख रुपए का पानी खरीद कर वन्यजीवों की जान बचाने के प्रयास किए हैं। अरावली की वादियों में खुदे 5 से 6 कुओं से पंप के जरिये पानी निकालकर वाटर हॉल भरे जा रहे हैं। भीषण गर्मी में ऊंटों की मदद से गहरे दर्रों में दुर्गम रास्ते से पानी पहुंचाया गया और पानी के वाटर हॉल भरे गए। इसके अलावा टैंकरों व जिप्सी से पानी लाकर डलवाया गया। कुंभलगढ़ की पांच रेंज में करीब 800 टैंकर पानी गोड़वाड़ के घाणेराव व मुछाला महावीर से लाया गया। प्रति रेंज में 30 हजार का पानी खरीदा गया है।भटकते हैं वन्यजीव : पैंथर, सूअर, बंदर, नीलगाय आदि वन्यजीव मई-जून की भीषण गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिए अभयारण्य क्षेत्र से बाहर गए। ये वन्यजीव ऊपर की ओर जाने वाले रास्ते से कुंभलगढ़, गवार, उदावड़,थुरावड़, झीलवाड़ा, कोटड़ा और नीचे की ओर रास्ते से ठंड़ी बेरी, घाणेराव, मुछाला महावीर, राजपुरा, मांड़ीगढ़, देसूरी होते हुए मारवाड़ तक गए। प्यास बुझाने के लिए कई बार बस्तियों में घुसे इन वन्यजीवों पर इंसानी हमले की घटनाएं भी हुई।
यादवेंद्रसिंह चुण्ड़ावत, सहायक वन संरक्षक रेंज कुंभलगढ़
अभयारण्य की पांच रेंजों में 46 वाटरहोल बनाए गए है। इसके अलावा सादड़ी में18, देसूरी में 34, झीलवाड़ा में 20 व बोखाड़ा में 19 वाटरहोल बने हुए हैं।