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उदयपुर

शिशु के लिए डिब्बाबंद दूध कानून के डिब्बे में बंद

– कोरोना के संक्रमण के बीच शिशुओं की सुरक्षा के लिए जारी की गाइडलाइन- सरकार ने जारी किए आदेश

उदयपुरOct 22, 2020 / 07:45 am

bhuvanesh pandya

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भुवनेश पण्ड्या
उदयपुर. कोरोना काल में बाल मृत्यु दर कम करने के लिए सरकार ने आईएमएस एक्ट को लेते हुए आदेश जारी किए है। सरकार ने बच्चों में कुपोषण रोकने के लिए इसे ढाल बताया है और स्पष्ट किया है कि शिशु आहार पूर्ति को बढ़ावा देकर ही इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। राज्य सरकार ने देश भर में लागू आईएमएस यानी इन्फेंट मिल्क सबस्टिट्यूशन फीडिंग बोटल्स एंड इन्फेंट फूड्स की अनुपालना के निर्देश दिए है।
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यह है खास बात
-एक घंटे के अन्दर स्तनपान, छह माह तक सिर्फ स्तनपान व छह माह पूर्व होने के बाद मां के दूध के साथ गाढ़ा ऊपरी आहार सर्वोत्तम है।

– मां का दूध शिशु के सर्वांगिण मानसिक व शारीरिक विकास के लिए जरूरी है। छोटे बच्चों में डायरिया, निमोनिया व कुपोषण से बचाव में भी अहम है।
– विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्तनपान मोटापे व बाद में होने वाले उच्च रक्तचाप व दिल संबंधी रोगों को भी अपेक्षाकृत कम करता है। ऐसे में छह माह से पहले शिशु को डिब्बा बंद दूध या छह मााह बाद डिब्बा बंद आहार बच्चों का खतरा बढ़ा देता है।
– विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से सलाह दी गई है कि कोविड- 19 के दौरान मां स्तनपान कराने में सक्षम नहीं है तो दूध को कटोरी में निकालकर इसे चम्मच से पिलाया जा सकता है। यदि मां ज्यादा बीमार है। शिशु को स्तनपान नहीं करवा सकती है तो स्तनपान कराने के लिए एक दूसरी महिला मदर मिल्क बैंक से सहयोग लिया जा सकता है।
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यह ध्यान रखना होगा
– गर्भवती व धात्री माताओं व उनके परिजनों को मुफ्त नमूने, दुग्ध बोतल व कृत्रिम आहार देने पर प्रतिबंध रहेगा।

– दो वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए डिब्बा बंद दूध, कृत्रिम शिशु आहार के प्रोत्साहन पर प्रतिबंध है।
– गर्भवती व धात्री माताओं के स्तनपान संबंधी उचित स्वास्थ्य व पोषण के लिए नियमित परामर्श मिलना चाहिए।
– किसी भी प्रसार के माध्यम से कॉमर्शियल शिशु आहार को दूसरे विकल्प के रूप में प्रचारित करना वर्जित है।
– स्वास्थ्य व पोषण संस्थाओं को इन कंपनियों द्वारा किसी भी प्रकार का डोनेशन देने पर प्रतिबंध है।

एनएचएम के मिशन निदेशक ने उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग को इसे गंभीरता से लागू करने के निर्देश दिए हैं, जिन्हें सीएमएचओ पूरी जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। मां कार्यक्रम आयोजित कर इस एक्ट को गंभीरता से लागू किया जाना है। दूसरी ओर आरसीएच निदेशक ने भी ये आदेश जारी किए हैं।
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