कार्पोरेशन ने करीब 6 माह पहले 36 करोड़ का कार्यादेश देकर निजी संवेदक एजेंसी को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी। इसके तहत यह कार्य मार्च अंत तक पूरा होना था, लेकिन कार्पोरेशन के उच्चाधिकारियों की ओर से संवेदक एजेंसी को नियमित बजट देने में अनदेखी हुई। नतीजा निर्माण कार्य सुस्ती भरी चाल से चला। इधर, कार्पोरेशन का कहना है कि सड़क का निर्माण लगभग पूरा है। टोल केंद्र स्थल बनाने के नाम पर मामला निजी खातेदारी की जमीन में आ गया। खातेदार ने टोल क्षेत्र में आने वाली जमीन को खुद की बताया। ये विवाद अब विचाराधीन है। इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
मनमानी की हद ही है कि सड़क और टोल केंद्र बूथ निर्माण पूरा किए बिना ही कार्पोरेशन ने मार्च के अंत में टोल वसूली के लिए निविदा निकाली। इसके तहत दो साल वसूली के लिए 868 लाख रुपए की न्यूनतम बोली तय हुई। चित्तौडग़ढ़ की निजी फर्म ने 918 लाख रुपए की बोली दी। शर्त के तहत एजेंसी को टोल वसूली ३० अप्रेल से शुरू करनी थी। लेकिन, टोल केंद्र बने बिना निजी फर्म ने वसूली से इनकार कर दिया। कार्पोरेशन ने जवाब में अप्रेल में फिर से टोल वसूली की निविदाएं आमंत्रित की। विवाद के बीच पहली फर्म ने अदालत की शरण ली, जहां सुनवाई के लिए 20 मई की तिथि मुकर्रर की गई। फिलहाल नई निविदा पर स्टे लगा हुआ है।
कार्पोरेशन की टोल वसूली निविदा में किसी विधायक की हिस्सेदारी भी सामने आ रही है। इस चक्कर में कार्पोरेशन के उच्चाधिकारी स्वतंत्र तौर पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर सामने आया है कि सड़क निर्माण बजट जारी नहीं होने के पीछे कार्पोरेशन से जुड़े एक उच्चाधिकारी के पुत्र के नाम निजी एजेंसी का अटका हुआ पुराना भुगतान है। बताया जा रहा है कि संवेदक एजेंसी की ओर से ये भुगतान बीते दिनों ही किया गया है। अब एक बार व्यवस्था फिर से पटरी पर आने की उम्मीद है। इससे पहले प्रतापगढ़ के विधायक ने घटिया सड़क निर्माण की शिकायत की थी। जवाब में मुख्य अभियंता (गुणवत्ता नियंत्रण) ने इसकी जांच पूरी करवा कर पीडब्ल्यूडी के शासन सचिव को सौंपी है। फिलहाल इसका खुलासा नहीं हुआ है।
सड़क व टोल कार्य पूरा कर जल्द ही टोल वसूली व्यवस्था शुरू करने के लिए प्रयासरत हैं। अदालत में सुनवाई के बाद ही टोल वसूली की दिशा तय होगी।
दीपक परिहार, एईएन, आरएसआरडीसी