गौरतलब है कि छात्रों के समग्र विकास के उद्देश्य के साथ कक्षा 1 से 12वीं तक पाठ्यक्रम में बदलाव प्रस्तावित है। इसमें विषय सामग्री को तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जा रहा है। संज्ञानात्मक और विश्लेषणात्मक कौशल के अलावा अच्छी तरह से संतुलित मानवीयता शामिल करने के लिए यह नव प्रयास है। इसमें एक बेहतर और अधिक समतावादी समाज विकसित करना, जीवन कौशल, अनुभवात्मक शिक्षा, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा, खेल, दृश्य जैसी गतिविधियों पर पर्याप्त ध्यान देना और कला, साहित्यिक और रचनात्मक कौशल आधारित शिक्षा की नींव तैयार करना है।
हालांकि मौजूदा पाठ्यक्रम में इनमें से कई कौशल शामिल है, लेकिन संज्ञानात्मक और विश्लेषणात्मक क्षेत्र में पाठ्यक्रम इतना भारी लगता है कि छात्रों को व्यावहारिक रूप से अन्य क्षेत्रों में कौशल विकसित करने के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता। इसलिए यह नई शुरुआत की जा रही है।
यह है उद्देश्य
रचनात्मकता और खेल सहित अन्य जीवन कौशल भी पाठ्यक्रम के साथ संतुलन के लिए जरूरी है। पाठ्यक्रम को संतुलित करने के लिए विद्यालय शिक्षा से जुड़े शिक्षकों, शिक्षाविदों, छात्रों, अभिभावकों आदि से विशिष्ट सुझाव मांगे गए है। इसका उद्देश्य एनसीईआरटी व सीबीएसई की ओर से निर्धारित पहली से कक्षा बारहवीं तक की विषय सामग्री को तैयार करना है।
इनका कहना है
सुझाव 6 अप्रेल तक भेजने होंगे। यदि सुझाव सटीक होंगे तो इसकी सराहना की जाएगी। कोई भी व्यक्ति, अभिभावक सुझाव मंत्रालय, बोर्ड या एनसीईआरटी की साइट पर जाकर लिंक से भेज सकेगा। इसमें सीधे ही एन्ट्री हो जाएगी।
तेजकुमार वर्मा, जनसंपर्क अधिकारी, सीबीएसई रीजनल सेन्टर, अजमेर
सुझाव 6 अप्रेल तक भेजने होंगे। यदि सुझाव सटीक होंगे तो इसकी सराहना की जाएगी। कोई भी व्यक्ति, अभिभावक सुझाव मंत्रालय, बोर्ड या एनसीईआरटी की साइट पर जाकर लिंक से भेज सकेगा। इसमें सीधे ही एन्ट्री हो जाएगी।
तेजकुमार वर्मा, जनसंपर्क अधिकारी, सीबीएसई रीजनल सेन्टर, अजमेर