गुड़ी पड़वा, चेटीचंड व वैसाखी भी मनाएंगे वहीं, नवरात्र के साथ नवसंवत्सर की भी शुरुआत हो जाएगी। इसी के साथ महाराष्ट्र समाज के लोग गुड़ी पड़वा मनाएंगे। वहीं, सिख समाज के लोग वैसाखी का पर्व मनाएंगे। वहीं, सिंधी समाज चेटीचंड पर्व मनाएगा। नव संवत्सर को हिंदू नववर्ष की शुरुआत माना जाता है। इस दिन नीम की नई कोंपलों के साथ काली मिर्च व मिश्री का प्रसाद का भोग लगाकर खाया जाता है।
पंडित जितेंद्र त्रिवेदी के अनुसार नवरात्र का आरम्भ भौमाश्विनी अर्थात मंगलवार व अश्विनी नक्षत्र के विशेष संयोग में आना सुखद है। इस दिन दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक यह योग रहेगा जिसमे देवी अथर्वशीर्ष का पाठ करना विशेष सिद्धिदायक सिद्ध होगा। पं. जगदीश दिवाकर के अनुसार, बसंत नवरात्र का परम चैत्र शुक्ल की उदय व्यापिनी प्रतिपदा में दिव्य स्वभाव लगने युक्त प्रात: काल में होता है। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रेल, 2021 को प्रात: 10.16 तक है। शास्त्रों के अनुसार बसंत नवरात्र की घट स्थापना चर, लाभ अमृत का चौघडिय़ा प्रात: 9.27 से दोपहर 2.09 तक अभिजीत मुहूर्त 12.59 तक एवं सभाव लग्न प्रात: 6.19 से प्रात: 6.20 तक एवं प्रात: 9.56 से दोपहर 12.10 तक रहेगा
घट स्थापना मुहूर्त – चर – 9.27 से 11.01 तक
लाभ – 11.01 से 12.35 तक अमृत – 12.35 से 2.09 तक
इस दिन राहुकाल 3.00 बजे से 4.30 बजे तक रहेगा