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बदलती लाइफ स्टाइल उभर कर सामने आया कारण उदयपुर में तीन वर्ष में २० हजार सिजेरियन प्रसव

locationउदयपुरPublished: Jan 22, 2020 11:40:45 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

हिला का पूरा ध्यान रखते हैं ताकि नॉर्मल डिलीवरी हो। साथ ही डॉक्टर से समय-समय पर जांच भी कराते हैं, लेकिन कुछ मामलों में अंतिम समय में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिस कारण डॉक्टर सी.सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुन रहे हैं।

बदलती लाइफ स्टाइल उभर कर सामने आया कारण उदयपुर में तीन वर्ष में २० हजार सिजेरियन प्रसव

बदलती लाइफ स्टाइल उभर कर सामने आया कारण उदयपुर में तीन वर्ष में २० हजार सिजेरियन प्रसव

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर. जिले में तीन वर्ष में २० हजार सिजेरियन प्रसव हुए हैं। खास बात यह है कि अधिकांश सिजेरियन जरूरी मानकर किए गए हैं तो कई सिजेरियन को प्लान भी बताया जा रहा है। हालांकि सिजेरियन प्रसव होने का एक बड़ा कारण लाइफ स्टाइल में बदलाव भी है। दिनचर्या गड़बड़ाने से सिजेरियन की जरूरत पड़ती है। हर गर्भवती महिला को उस पल का इंतजार होता है जब नन्ही सी जान उसके हाथों में खेले। इसके लिए घर के सभी सदस्य गर्भवती महिला का पूरा ध्यान रखते हैं ताकि नॉर्मल डिलीवरी हो। साथ ही डॉक्टर से समय-समय पर जांच भी कराते हैं, लेकिन कुछ मामलों में अंतिम समय में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिस कारण डॉक्टर सी.सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुन रहे हैं।
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ये है सिजेरियन के आंकडें:आरएनटी मेडिकल कॉलेज

वर्ष- कुल प्रसव- सिजेरियन – सामान्य प्रसव

२०१७- १९३८५-६४१६- १२९६९२०१८- १८५७८-६५७०-१२००८२०१९- १८०५४-६३८१- ११६७३

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उदयपुर जिले में सिजेरियनवर्ष – कुल प्रसव- सिजेरियन१८-१९- ३७१७२- ४७०१९-२०- २८३१२-३४

-इसलिए करनी होती है सिजेरियन:डॉक्टर गर्भावस्था के 39वें हफ्ते के बाद ही सिजेरियन डिलीवरी करते हैं, ताकि गर्भ में बच्चा पूरी तरह से विकसित हो जाए। वहीं यदि नॉर्मल डिलीवरी में प्रसव पीड़ा के दौरान गर्भवती और शिशु दोनों की जान को खतरा हो जाए या डिलीवरी होने में कठिनाई हो रही हो, तो भी सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय लिया जाता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान ही गर्भवती में विभिन्न जटिलताओं के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।
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सिजेरियन के लक्षण- शिशु के दिल की धड़कन असामान्य है।- गर्भाशय में शिशु की मुद्रा ठीक नहीं है। अगर शिशु क्रॉसवाइज यानी टेढ़ा या फि र ब्रीच यानी पैर नीचे की तरफ हों।- शिशु को विकास संबंधी कोई समस्या यानी हाइड्रोसेफ लस या फिर स्पाइना बिफि डा, रीढ़ की हड्डी में समस्या हों।- गर्भ में दो या दो से ज्यादा शिशु हों।
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गर्भवती के लिए- जेनिटल हर्पीस संक्रमण होने पर।- गर्भाशय में जरूरत से ज्यादा सेल्स व कोशिकाओं के विकसित होने से बनने वाली गांठ हो।- गर्भवती को एचआईवी संक्रमण हो- पहले भी सिजेरियन हुआ हो- अगर गर्भवती को प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या है।
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सिजेरियन के लाभमां व शिशु दोनों की जान को खतरा है तो डॉक्टर ऑपरेशन करना उचित समझते हैं। इससे दोनों की जान बचाना आसान हो जाता है।नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले सिजेरियन से जन्म के समय शिशु को होने वाली ऑक्सीजन की कमी, कंधे में चोट या फ्रै क्चर से बचाया जा सकता है।महिला को पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।- बच्चे के जन्म का दिन और समय पहले से तय होता है और महिला उसी के अनुसार अपनी तैयारी कर सकती है।विशेष परिस्थिति मेें जरूरत आमतौर पर सामान्य प्रसव बेहतर होता है, लेकिन विशेष परिस्थिति में सिजेरियन करना पड़ता है, कई बार लोग सिजेरियन करवाते हैं। अच्छा वार, अच्छा दिन महापुरुष का या किसी परिजन का जन्म दिन हो या कोई खास त्योहार हो तो लोग एेसा करते हैं।डॉ. अशोक आदित्य, आरसीएचओ उदयपुरस्थिति देखकर करते हैं निर्णयजरूरी है कि जच्चा बच्चा स्वस्थ रहे। स्थिति देखकर जरूरत पर सिजेरियन किया जाता है, सामान्य प्रसव नहीं होने के कई कारण होते है, लेकिन इसमें असामान्य दिनचर्या भी एक बड़ा कारण है।डॉ. मधुबाला चौहान, अधीक्षक, जनाना हॉस्पिटल उदयपुर
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