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चीट व चैटिंग से टूट रहे परिवार, तलाक के कारणों में मोबाइल व सोश्यल मीडिया बना बड़ा कारण

locationउदयपुरPublished: Jun 25, 2019 01:14:42 pm

Submitted by:

madhulika singh

अनपढ़ रह रहे राजीखुशी, पढ़े-लिखो का टूट रहा परिवार Divorce , शादी के बाद ही एक से पांच साल के मामले आ रहे सर्वाधिक कोर्ट में

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मोहम्मद इलियास /उदयपुर. दाम्पत्य जीवन में जहर घोलने के विविध कारणों में चीट व चैटिंग से विश्वास में दरार आते हुए कई परिवार टूट रहे हैंं। जिले में तलाक के मामलों divorce Cases के कारणों की छानबीन की तो सास-बहू के झगड़े, दहेज प्रताडऩा, सम्पत्ति विवाद के साथ ही मोबाइल पर चैटिंग व बातचीत भी विवाद का बड़ा कारण बनकर उभरकर सामने आया है। झगड़े के आने वाले केस में काउंसलिंग के दौरान स्वयं पति-पत्नी सोश्यल मीडिया व मोबाइल को मुद्दा बना कर एक-दूसरे के चरित्र पर अंगुली उठाते हुए शिकायत कर रहे हैं। ऐसे मामलों में काउंसलिंग भी काम नहीं कर रही है और परिवार जुडऩे की बजाय टूटने वालों की संख्या ज्यादा बढ़ती ही जा रही है।
पारिवारिक न्यायालय family court में प्रतिवर्ष आने वाले 700-800 प्रकरणों में 60 फीसदी तलाक है। ज्यादातर मामले शादी से महज एक से पांच वर्ष के बीच अवधि के है।

एक भी मामला आदिवासी समाज का नहीं
सभ्य समाज के बीच जहां तलाक के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं वहीं आदिवासी समाज का एक भी मामला कोर्ट में नहीं है। इसके पीछे के कारण आदिवासी समाज में प्रचलित पंचायत, पंच पटेल या नाता प्रथा के कारण संबंध विच्छेद उपरांत परित्यक्ता को आसरा मिल जाना बताया गया है।

पत्नी का किसी और से बात करना पसंद नहीं

केस-1
मोबाइल पर बातचीत पर ही शक, हुए अलग

चित्तौडगढ़़ से ब्याह कर आई सभ्य समाज की लडक़ी आगे पढकऱ मेडिकल लाइन में जाना चाहती थी। सोश्यल मीडिया पर साथी से बातचीत करने पर ससुरालजनों ने पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया। पति-पत्नी में मनमुटाव हुआ। मामला अदालत में पहुंचने के बाद दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए।
केस-2
अहम टकराए, तलाक ले लिया

ससुराल में पढऩे के बाद पति-पत्नी चार साल राजीखुशी साथ रहे। पढ़ाई के दौरान साथी से सोश्यल मीडिया पर बातचीत की तो पति को नागवार गुजरा और उसने चरित्र पर शक जता दिया। झगड़ा होते ही पत्नी ने दहेज प्रताडऩा, पारिवारिक भरण पोषण का पहले मामला दर्ज करवाया, बाद में राजीखुशी तलाक लेकर अलग हो गई। काउंसलिंग के दौरान दोनों को खूब समझाइश की लेकिन दोनों के बीच अहम टकराया और वे साथ रहने पर रजामंद नहीं हुए।
केस-3
साथी से चैटिंग की तो ले लिया तलाक

पत्नी के नौकरी में होने पर उसने मोबाइल पर परिचित से चैटिंग की तो पति नाराज हुआ। झगड़ा होने के बाद मोबाइल छीन लिया। बात बढ़ी तो दोनों कोर्ट में पहुंचे। एक-दूसरे पर अलग-अलग तरीके के आरोप लगाए। काउंसलिंग की तो मोबाइल पर चैटिंग की बात सामने आई और बाद में दोनों ने तलाक ले लिया।
केस-4
पत्नी का ही वीडियो बना किया ब्लैकमेल

शादी के दूसरे ही दिन पति ने अवैध संबंध के लिए मजबूर कर पत्नी का वीडियो बना लिया। विरोध करने पर उसने ब्लैकमेल करते हुए वीडियो वायरल कर दिया। ऐसी स्थिति में आरोपी के विरुद्ध आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मामला दर्ज हुआ। सुनवाई से पहले पत्नी ने तलाक ले लिया।
केस-5
पत्नी का वीडियो वायरल कर भागा विदेश

पति के बाहर जाने पर पत्नी के पड़ोसी से संबंध हो गए। पीहर पक्ष को शिकायत करने पर उन्होंने ससुरालजनों पर ही प्रताडऩा का केस दर्ज करवाया। समझाइश के बाद युवती के पुन: ससुराल पहुंची तो इस बार ससुराल वालों ने बहू का वीडियो बनाकर समाज ग्रुप में वायरल कर दिया। सोश्यल मीडिया पर डाले गए वीडियो पर खूब कमेंट आए। वायरल करने वाला आरोपी देश छोड़ भागा। उनके विरुद्ध मामला दर्ज कर लुक आउट नोटिस जारी किया गया।

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टूटते परिवारों का कारण मोबाइल व सोश्यल मीडिया प्रमुख है। इसके प्रयोग से महिला की स्वतंत्रता की सीमा और बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी भादस की धारा 497 को समाप्त कर दिया है, परंतु पुरुषों को मानसिक स्तर आज भी परम्परावादी है। पुरुष आज भी महिला को सामान्य गृहिणी, पत्नी व मां की भूमिका में देखना चाहता है। नौकरी की स्वतंत्रता पैेसे कमाने तक है लेकिन पैसों के उपयोग को लेकर आज भी बंदिशें है। आज की महिला स्वयं के व्यक्तित्व देखना चाहती है लेकिन अहम व सोश्यल मीडिया के कारण परिवार टूटते जा रहे हैं।
रागिनी शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता

वर्तमान में शादी के महज एक से पांच वर्ष के बीच पति-पत्नी में झगड़ों के मामले ज्यादा आ रहे हैं। इनमें दूरियों का बड़ा कारण भी सोश्यल मीडिया है। पहले मामला दर्ज होने के दौरान दहेज प्रताडऩा व अन्य तरह के आरोप लगाए जाते हैं लेकिन बाद में हकीकत में सोश्यल मीडिया पर सक्रियता के रूप में सामने आती है।
रितू मेहता, अधिवक्ता

पारिवारिक न्यायालय में प्रतिदिन 7 से 8 मुकदमे आते हैं। उनके झगड़े का असली कारण मोबाइल पर बातचीत व चैटिंग भी है। काउंसलिंग के दौरान कुछ मान जाते हैं और साथ-साथ चले जाते है। अन्य नहीं मानने वाले कई तरह के आरोप लगाकर अलग हो जाते हैं। ऐसे पति-पत्नी में तलाक के मामले ज्यादा है।
संगीता नागदा, अधिवक्ता

चार साल में इतने मामले हुए दर्ज

वर्ष – मामले
2016 – 776

2017 – 540
2018 – 743

2019 – 352
इन मामलों में 60 फीसदी मामले तलाक के

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