scriptगरीबी, लाचारी और पेट की मजबूरी में मासूमों का पिसता बचपन, जानें पूरी कहानी | child labouring in udaipur | Patrika News

गरीबी, लाचारी और पेट की मजबूरी में मासूमों का पिसता बचपन, जानें पूरी कहानी

locationउदयपुरPublished: Jun 12, 2019 02:18:25 pm

Submitted by:

Bhagwati Teli

एक साल में 90 बच्चों को बालश्रम से करवाया मुक्त

child labour
उदयपुर. इस बदलती दुनिया को देख ये नन्हें कोमल हाथ भी आसमान छूने की ख्वाहिश रखते हैं। इनका मन भी चाहता है कि वे भी छोटी उम्र में खेलें और बैग लेकर स्कूल पढऩे जाएं। किसी होटल में वे भी लजीज व्यजंनों को मजा ले। बाग बगीचों में दोस्तों संग हंसी ठिठोली करें लेकिन उनके हाथों की काली लकीरों में ऐसा लिखा कि वह बचपन भूल झूठन साफ करने लगे तो कोई कचरा उठाने लगा। कुछ तो बीटी कॉटन कपास में खुद को झोंक गया तो कोई बड़े कोठी बंगलों पर नौकर बन दूसरे के बचपन को संवारने में जुट गया।
कुछ बच्चे तो अपनों के दुनिया से चले आने पर मजबूरीवश बालश्रम में आ गए। यह हकीकत है उन 90 मासूमों की जिन्हें बालश्रम करते हुए पकड़ा गया। पूछताछ में सभी के पीछे गरीबी, लाचारी व भूख सामने आई। मानव तस्करी विरोधी यूनिट, चाइल्ड लाइन, बाल अधिकारिता विभाग व स्वयंसेवी संस्था द्वारा पकड़े गए इन बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति ने पुर्नवास करते हुए उनके परिजनों को पाबंद किया तथा कइयों को स्कूलों में दाखिला दिलाया।

54 बच्चे 8 से 14 साल की उम्र के

जिले में पिछले एक साल में बालश्रम करते हुए पकड़े गए 90 बच्चों में से 54 ऐसे बच्चे थे जिनकी उम्र महज 8-14 वर्ष के बीच थी। शेष 36 बच्चों में कई ऐसे थे, जिनके सहारे ही उनका परिवार चल रहा था। सीडब्ल्यूसी ने छोटी उम्र के अधिकांश बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया तो बड़े बच्चों को प्रशिक्षण देने के बाद ही रोजगार पर भेजने के लिए पाबंद किया।
यहां मिले ये बच्चे
होटल रेस्टोरेंट में, बसों में गुजरात जाते हुए (बीटी कॉटन व सूरत में साडिय़ों की दुकान पर काम के लिए),आन्ध्रा व कर्नाटक में पानी पूरी के लिए जाते हुए, घरों में काम करते हुए, टेंट की दुकानों व बारातों में बालश्रम करते हुए।

अनाथ होने पर दिया सहारा
केस- 1
प्रतापनगर क्षेत्र के आकाशवाणी कॉलोनी में रहने वाले एक दम्पती की टीबी से मौत हो गई। पीछे उनके चार बच्चे अनाथ हो गए। बड़ा बच्चा बालश्रम में जुटा। राजस्थान पत्रिका ने बच्चों की पीड़ा को उजागर की तो बाल कल्याण समिति सहित पुलिस-प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची। सीडब्ल्यूसी ने चारों बच्चों को आश्रय दिलाने के साथ ही उन्हें किताबें थमाई।

धोखे से किया विवाह
केस- 2
आबूरोड में ब्याही एक महिला के पति की मौत के बाद उदयपुर के एक युवक ने धोखे से विवाह रचाकर महिला को नशे का आदी कर दिया। आरोपी ने उसकी समस्त सम्पत्ति को हड़पते हुए बच्ची के साथ उसे सडक़ पर छोड़ दिया। इस बच्ची को सीडब्ल्यूसी ने संस्था में आश्रय दिलाते हुए उसे पढ़ाई से जोड़ा। मां की मौत के बाद बच्ची को मामा के सुपुर्द कर पुर्नवासित किया गया।
मजदूरी को जाते रोका
केस- 3
टीम ने छापाकर एक वीडियोकोच बस में एक साथ 12 बाल श्रमिक पकड़े। इनमें से 4 लड़कियां थी। सभी की उम्र महज 8-13 साल के बीच थी। टीम ने मुकदमा दर्ज करवाकर सभी बच्चों के मां-बाप के सुपुर्द किया। परिजनों को पाबंद के साथ ही उन्हें स्कूलों में दाखिला दिलाया गया।
सीडब्ल्यूसी ने बालश्रम के कार्यो में रेस्क्यू करते हुए बालकों के पुर्नवास की व्यवस्था की। उन्हें शिक्षा से जोडकऱ दक्षता प्रदान करवाकर ही रोजगार से जोडऩे के लिए पाबंद किया है।
डॉ.प्रीति जैन व बी.के.गुप्ता, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष व सदस्य
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो