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अब प्रवासी परिवारों के बच्चों को मिलेगा शिक्षा का अवसर, रोजगार के लिए पलायन वाले 8 जिलों में खुलेंगे सीजनल छात्रावास

locationउदयपुरPublished: Dec 09, 2017 11:01:56 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

उदयपुर . राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के चार जिलों में ये सीजनल छात्रावास शुरू किए है।

children of migrant families will get education opportunity udaipur
उदयपुर . आजीविका के लिए अन्य क्षेत्रों में पलायन करने वाले परिवारों के बच्चों की पढ़ाई नियमित चल सके, इस उद्देश्य से राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के चार जिलों में ये सीजनल छात्रावास शुरू किए है। आठ जिलों में ऐसे छात्रावास खोलने का लक्ष्य रखा गया है।
उदयपुर जिले में तीन दिन पूर्व दो छात्रावास शुरू किए गए। राज्य में ऐसे बड़ी संख्या में परिवार हैं, जो आजीविका के लिए अस्थायी रूप से पलायन कर जाते है। आमतौर पर यह पलायन सितम्बर से मार्च तक रहता है। ऐसे में 6 से 14 वर्ष के बालक-बालिकाओं को भी स्कूल छोड़ अपने माता-पिता के साथ जाना होता है, जिससे उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती है। उनकी पढ़ाई बाधित नहीं हो, इसी उद्देश्य से यह पहल की गई है।
चौदह सौ बच्चे होंगे लाभान्वित
इन सभी जिलों के कुल 1400 बच्चों के लिए 1 करोड़ 40 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है। बांसवाड़ा को सर्वाधिक 40 लाख और बारां को न्यूनतम 5 लाख रुपए जारी किए गए।

हमने उदयपुर में दो दिन पहले छात्रावास खोल दिए हैं, यदि कोई और बच्चा हो तो हम उसे लेंगे। जिस हिस्से में पलायनकर्ता परिवार अधिक होंगे, उसमें ही ये खोले जाएंगे।
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छात्रावास में लगेंगे शिक्षा स्वयंसेवक

एक छात्रावास में न्यूनतम 25 व अधिकतम 49 बच्चे रह सकेंगे। यदि बालिकाएं 25 हो जाती है, तो उनके लिए अलग से व्यवस्था रहेगी। जिस भवन में उसे खोला गया है, वहां बिजली, पानी व अन्य सुरक्षा की सुविधाएं जरूरी हैं। प्रत्येक छात्रावास में एक शिक्षा स्वयंसेवक होगा, जो बीएसटीसी या बीएड किया हुआ होगा। एसएमसी की ओर से उसका चयन होगा जिसे 5500 रु. प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। सहायक स्वयंसेवक को 4500 रु. प्रतिमाह मिलेंगे।
उदयपुर में दो छात्रावास खुलेंगे

उदयपुर जिले में झाड़ोल तहसील की सरादित पंचायत के डागोल और कवेल में दो छात्रावास खोले गए हैं। डागोल में 45 और कवेल में 35 बच्चों को प्रवेश दिया गया है। सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं में पढऩे वाले बच्चों के लिए यह छात्रावास है। शिक्षा से वंचित बच्चों की उम्र 14 वर्ष से अधिक भी हो सकती है। स्थानीय जनप्रतिनिधि सरपंच, वार्ड प्रभारी व ग्रामीण क्षेत्र के पदेन पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी व शहरी नोडल की जांच के बाद ही बच्चों को छात्रावास में रख जा सकेगा।
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