उदयपुर

मां-बाप ने कलेजे के टुकड़ों को समझा बोझ, बना दिया अनाथ, 24 बच्चों को डाला पालने में

– शारीरिक कमियों वाले बच्चे आए पालना में, महज थोड़े से इलाज में ही हो गए स्वस्थ्य

उदयपुरDec 05, 2019 / 08:50 pm

madhulika singh

newborn

मो. इलियास/उदयपुर. अभी उन मासूमों ने पूरी तरह से आंख भी नहीं खोली कि परिजनों को उनमें शारीरिक कमियों का अहसास होते ही उन्होंने पलभर में ही अपनों से दूर कर अनाथ बना दिया। किसी के दिल में छेद, कोई बोलने में बेबस, तो कोई चलने-फिरने से लाचार था। कुछ तो महज इलाज से ही एक से डेढ़ माह में ठीक हो सकता था तो कुछ समय के साथ महज इलाज व दुलार से ही स्वस्थ्य होने वाला था लेकिन नौ माह कोख में रखने वाली मां व साए की तरह साथ रहने वाले पिता ने उन्हें उस समय दूर कर दिया जब उन्हें उनकी सख्त जरुरत थी। अनाथ बनकर आए इन बच्चों को राजकीय शिशुगृह में उचित इलाज मिला तो खिलखिला उठे। इतना ही नहीं पांच साल में शारीरिक कमियों वाले आए 24 बच्चों में से पांच तो सात समंदर नए मां-बाप के पास पहुंचे तो पांच देश के अलग-अलग कोने में पल बढ़ रहे हैं। 15 अब भी ऐसे बच्चे हैं, जिनका इलाज चल रहा है।
राजकीय शिशुगृह में पालना में वर्ष 2017 से 2019 के बीच 72 बच्चे आए, इनमें 40 लडक़े व 32 लड़कियां है। इन बच्चों से से 24 ऐसे हैं, जिनमें शारीरिक कमियों के चलते छोड़ा गया। अकेले नवम्बर माह में पांच बच्चे पालने में मिले हैं, इनमें चार तो छोटी-मोटी बीमारी से ग्रसित थे।

यह बीमारियां इन बच्चों में

दिल में छेद, होठ पर कट, कुपोषित, हेपेटाइटिस-बी, कम वजन, सुनने की शक्ति कम, हाथ व पांव मुड़े हुए,मूत्र की समस्या व हर्निया। इनमें से अधिकांश बच्चे महज इलाज से ही स्वस्थ हो गए।

विदेशियों ने दिखाया रुझान तो अपने भी आए
शारीरिक कमियों वाले बच्चों के नए मां-बाप की तलाश के लिए उन्हें केन्द्रीय दत्तक ग्रहण पर ऑनलाइन डाल रखा है। शुरुआत में इन बच्चों को लेने कोई नहीं आया। जब विदेशी लोगों ने इनमें रुझान दिखाया तो बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट उन्हें भेजी गई। उन्होंने अपने चिकित्सकों को रिपोर्ट दिखाकर उन्हें गोद लेने के लिए आवेदन किया। देखते ही देखते विशेष श्रेणी वाले इन बच्चों में से पांच बच्चे सात समंदर पार चले गए। इनमें कम सुनने व दिल में छेद वाले दो बच्चे स्वीडन, हेपेटाइटिस-बी वाला बच्चा इटली, हाथ मुड़ा वाला बच्चा यूएस व कम वजन वाला एक बच्चा कनाड़ा गया। ये सभी बच्चे अपने नए मां-बाप के पास स्वस्थ्य है। विदेशियों के इस रुझान के बाद भारत के पांच परिवार भी विशेष श्रेणी के इन बच्चों को गोद ले गए। अभी भी कुछ बच्चे ऐसे है जो इलाज से स्वस्थ हो चुके हंै और उन्हें नए मां-बाप की जरुरत है।

कारा में देखा जा सकता है बच्चों को

इन नवजात बालकों को सीडब्ल्यूसी के आदेश से दत्तक ग्रहण एजेन्सी कारा के पोर्टल पर मेडिकल रिपोर्ट के विवरण के साथ उन्हें दर्शाया जाता है। जिससे की इन बालकों को दत्तक लेने वाले परिजनों को इनकी पूर्ण जानकारी हो और वे इन्हें सम्पूर्ण इलाज मुहैया करा सके।

एमबी चिकित्सालय के पालने में आने वाले विशेष श्रेणी के नवजातों में मानसिक विकृति, हार्ट में छेद, दृष्टि बाधित, अति कुपोषित एवं दिव्यांगता वाले बच्चे आते हैं। इन्हें हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा इनका सम्पूर्ण इलाज किया जाता है और कुछ विकृतिया जन्म की होती है तो बालक की आयु बढऩे के साथ ही स्वत: ठीक हो जाती है।
डॉ.लाखन पोसवाल
सीडब्ल्यूसी के आदेश पर विशेष देखरेख वाले बच्चे आने पर उनकी अलग से विशेष देखरेख की जाती है। मेडिकल रिपोर्ट सहित बच्चों को कारा की साइट पर ऑनलाइन किया हुआ है। कई लोग बच्चों को ले गए और उनका इलाज भी करवाया औ वे पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
वीना मेहरचंदानी, राजकीय शिशुगृह अधीक्षक

स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष देखभाल आवश्यकता वाले नवजात बालकों के पाए जाने पर सीडब्ल्यूसी की ओर से जे जे एक्ट के तहत उन्हें तुरंत ही सीएनसीपी घोषित किया जाता है। उन्हें चिकित्सकीय जांच व इलाज के लिए हॉस्पिटल रेफर करते है। स्वस्थ्य होने के बाद ही उन्हें शिशुगृह में प्रवेशित कराया जाता है।
बी.के.गुप्ता, सीडब्ल्यूसी सदस्य
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