scriptझुलसाने वाली गर्मी, तपते टीन शेड और 4 कमरों में 12 कक्षाएं.. क्‍या आप बैठ सकते हैं ऐसे हाल में… | Classes Running Under Tinshed, Udaipur | Patrika News

झुलसाने वाली गर्मी, तपते टीन शेड और 4 कमरों में 12 कक्षाएं.. क्‍या आप बैठ सकते हैं ऐसे हाल में…

locationउदयपुरPublished: Apr 25, 2018 04:29:35 pm

Submitted by:

madhulika singh

स्कूल प्रमोट होता गया, संसाधन नहीं बढ़े, कडूणी उच्च माध्यमिक विद्यालय का मामला

government school kaduni
शंकर लाल पटेल/गींगला पसं. झुलसाने वाली गर्मी से सभी अपने आप को बचाने की मशक्कत करते हैं, वहीं बच्चों और किशोरों को शिक्षा के लिए गर्मी में तपने की तपस्या करनी पड़े तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा। हम बात कर रहे हैं सलूंबर ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कडूणी की। जहां करीब 40 डिग्री तापमान में तपे टीन शेड के नीचे विद्यार्थियों को बैठाना मजबूरी है। यही नहीं 12 कक्षाएं चार कमरों के स्कूल में चल रही है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्मी में कैसी बेकद्री झेल रहे हैं यहां के विद्यार्थी।
प्रमोट हुए स्कूलों में शामिल है कडूणी का उच्च माध्यमिक विद्यालय, लेकिन यहां साधन-सुविधाओं का टोटा है। वर्ष 1973 में स्थापित विद्यालय वर्ष 2008-09 में उच्च प्राथमिक से माध्यमिक और 2015 में उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत होता गया, लेकिन संसाधान उच्च प्राथमिक विद्यालय जितने ही रहे। यहां न कमरे बढ़े ना ही खेल मैदान मिला। अन्य सुविधाओं का तो नामोनिशान नहीं है। वर्तमान में यहां बारह कक्षाओं में 245 बच्चे अध्ययनरत हैं, लेकिन उनके बैठने के लिए महज चार कमरे है। ऐसे में पढ़ाई के लिए स्कूल प्रशासन जैसे-तैसे काम चला रहा है, लेकिन अब अभिभावकों को बच्चों की हालत देख अखरने लगा है। कीर की चौकी- सलूम्बर स्टेट हाईवे किनारे स्थित कडूणी विद्यालय के प्रवेश द्वार की फाटक भी हाईवे पर ही खुलती है। सडक से एकदम सटी दीवार होने से बच्चें के भी हर समय आने जाने में परेशानी होती है। सडक से सटी स्कूल होने के बावजूद कोई सावधानी संकेतन व बेरियर के नहीं होना हर समय शिक्षक, अभिभावकों को चिंता का डर सताता रहता है। कई बार दुर्घटनाएं होती होती बची लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया।
READ MORE : 18 वर्ष के किशोरों के लिए चलाएं रेमेडियल कक्षाएं, प्रमुख शासन सचिव ने द‍िए न‍िर्देश

बरामदे में कक्षाएं
कडूणी विद्यालय में कक्ष की कमी के चलते बच्चों को बरामदे के अहाते में बैठकर अध्ययन कराया जाता है। कक्षा 4 व 5 तथा 6 व 11 बरामदे में लगी है और एक दूसरे के शोर के चलते उनकी पढाई प्रभावित होना स्वाभाविक है और तो और एक दूसरे की आवाज से पढाई भी सही नहीं हो पाती। दूसरी ओर विद्यालय एकदम हाईवे से सटे होने और चारदीवारी नीचे होने से वाहनों की आवाजाही से शोर अधिक सुनाई देने और बाहर बाहर नजर सडक की ओर जाने से भी पढाई पर प्रभाव पडता है।
&विद्यालय में कक्षा कक्षों की कमी है। गर्मी में परेशानी तो हो रही है। प्रशासन ने स्कूल के लिए डेढ़ किलोमीटर दूर जमीन आवंटित कर रखी है, लेकिन ग्रामीण इसे बच्चों के लिए सुविधाजनक नहीं मान रहे हैं। शिक्षाकर्मी स्कूल भवन मिल जाए और उसके समीप अन्य कमरे बने तो सहुलियत रहेगी। अपने स्तर पर भी विभाग को प्रस्ताव भेजा है।
ताराप्रकाश जाट, प्रधानाचार्य, राउमावि कडूणी
&कडूणी विद्यालय में कक्षा कक्षों की कमी तो है, इसके लिए जगह की कमी पड़ रही है। जमीन पूर्ण होते ही कमरों का निर्माण करवाया जाएगा।
मनोज मीणा, सरपंच कडूणी
&पीटीए की बैठक में कमरों की समस्या उठी थी। विकल्प सुझाए जा रहे हैं। शिक्षाकर्मी स्कूल के चार कक्षा कक्ष, सुविधाएं काम में आ जाएंगी। गांव के स्तर पर भी निर्णय लिए जा रहे हैं।
हिम्मतसिंह, प्रताप सिंह, शिक्षक एवं पीटीए सदस्य
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो