तितलियों पर शोध कर रहे डूंगरपुर के विशेषज्ञ मुकेश पंवार के अनुसार, मेवाड़ व वागड़ में 106 प्रजातियों, जबकि प्रदेशभर में 114 तरह की तितलियां पाई जाती हैं। राष्ट्रीय तितली बनने की दौड़ में शामिल कॉमन जेजेबेल या इंडियन जेजेबेल तितली राजस्थान में ही पाई जाती है। ये तितली अपना जीवनचक्र डेण्ड्रोफ्थोए फाल्काटा वनस्पति पर पूरा करता है। ये वनस्पति घने जंगलों के पुराने पेड़ों पर ही ज्यादा पाई जाती है, जैसे सागवान, हर, तेंदू, सारल, गोंदल, पलाश आदि वृक्षों के ऊपर ही परजीवी के रूप में रहती है। अत: इस एक तितली के संरक्षण के लिए इन अनेकानेक वृक्ष व वन क्षेत्रों के संरक्षण की भी पहल कर सकते हैं।
ये 7 तितलियां हैं दौड़ में – फाइव बार स्वॉर्डटेल
– इंडियन जेजेबेल – इंडियन नवाब
– कृष्णा पीकॉक -ऑरेंज ऑकलीफ
– नॉर्दर्न जंगल क्वीन – यलो गॉर्गन
8 अक्टूबर तक की जा सकती है वोटिंग
भारत में कुल 1500 प्रकार की तितलियां पाई जाती हैं। राष्ट्रीय तितली चुनने का अभियान 10 सितंबर से शुरू हुआ है और 8 अक्टूबर तक ऑनलाइन मतदान करके सात में से अपनी पसंदीदा एक तितली का चयन कर सकते हैं। इसके लिए लिंक ह्लद्बठ्ठ4.ष्ष्/ठ्ठड्डह्लद्बशठ्ठड्डद्यड्ढह्वह्लह्लद्गह्म्द्घद्य4श्चशद्यद्य पर जाना होगा। अधिकतम वोट प्राप्त करने वाली तितली को राष्ट्रीय तितली चुना जाएगा।