प्रमाण पत्र पर आरआई के हस्ताक्षर भी नहीं होने पर एएसपी ने एसपी को रिपोर्ट दी। एसपी के आदेश पर कांस्टेबल के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। मामला दर्ज होने के बाद आरोपित कांस्टेबल फरार हो गया। फरवरी 2017 में उसकी ओर से पेश अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बावजूद वह पेश नहीं हुआ। पुलिस ने उसके विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया तब कोर्ट ने उसे मफरूर घोषित कर दिया। न्यायालय से आरोपित के खिलाफ एक बार फिर स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी होते ही आरोपित ने फिर से अग्रिम जमानत अर्जी पेश की, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। इधर, मादक पदार्थ तस्करी के आरोपित मोगाणा नाथद्वारा (राजसमंद) निवासी राजेन्द्र उर्फ राजू पुत्र हीरालाल गुर्जर की ओर से पेश जमानत अर्जी भी न्यायालय ने खारिज कर दी। आरोपित को भींडर थानाधिकारी हिमांशुसिंह ने 46 किलो डोडा-चूरा सहित पकड़ा था।
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स्थायी लोक अदालत का निर्णय
उदयपुर. कैंसर पीडि़त पत्नी की मौत पर स्थायी लोक अदालत ने परिवादी को क्लेम के 1.23 लाख रुपए दिलाकर राहत पहुंचाई। हवामगरी सेक्टर-14 निवासी मुकेश पुत्र गेहरीलाल जैन ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड कोलकाता जरिये चेयरमैन, शाखा प्रबंधक बापूबाजार व विपुल मेडिकॉर्प टीपीए प्रा. लि. जयपुर के खिलाफ प्रस्तुत परिवाद में बताया कि बीमा कंपनी से वर्ष 2011 में मेडिक्लेम पॉलिसी करवाई। यह पॉलिसी वर्ष 2016 तक प्रभावी थी। इस अवधि में वर्ष 2013 से 2015 में परिवादी की पत्नी कैंसर से पीडि़त रही एवं दिसम्बर 2015 में उसका निधन हो गया। इलाज के बिल सहित मेडिकल क्लेम किया तो विपक्षियों ने प्रथम चार वर्षों में पॉलिसी कवर नहीं होना बताकर क्लेम खारिज कर दिया। विपक्षी ने विरोध किया कि बीमित की ओर से समय पर सूचना नहीं दी गई एवं जांच एवं अनुसंधान से वंचित रखा गया। सुनवाई के बाद स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष के.बी.कट्टा व सदस्य बृजेन्द्र सेठ ने बीमा राशि के क्लेम राशि के 1.23 लाख रुपए व मानसिक संताप व परिवाद व्यय के 10 हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए।
उदयपुर. कैंसर पीडि़त पत्नी की मौत पर स्थायी लोक अदालत ने परिवादी को क्लेम के 1.23 लाख रुपए दिलाकर राहत पहुंचाई। हवामगरी सेक्टर-14 निवासी मुकेश पुत्र गेहरीलाल जैन ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड कोलकाता जरिये चेयरमैन, शाखा प्रबंधक बापूबाजार व विपुल मेडिकॉर्प टीपीए प्रा. लि. जयपुर के खिलाफ प्रस्तुत परिवाद में बताया कि बीमा कंपनी से वर्ष 2011 में मेडिक्लेम पॉलिसी करवाई। यह पॉलिसी वर्ष 2016 तक प्रभावी थी। इस अवधि में वर्ष 2013 से 2015 में परिवादी की पत्नी कैंसर से पीडि़त रही एवं दिसम्बर 2015 में उसका निधन हो गया। इलाज के बिल सहित मेडिकल क्लेम किया तो विपक्षियों ने प्रथम चार वर्षों में पॉलिसी कवर नहीं होना बताकर क्लेम खारिज कर दिया। विपक्षी ने विरोध किया कि बीमित की ओर से समय पर सूचना नहीं दी गई एवं जांच एवं अनुसंधान से वंचित रखा गया। सुनवाई के बाद स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष के.बी.कट्टा व सदस्य बृजेन्द्र सेठ ने बीमा राशि के क्लेम राशि के 1.23 लाख रुपए व मानसिक संताप व परिवाद व्यय के 10 हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए।