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video: अनुबंध है या घाटा, ठेकेदार पर मेहरबान एनएचएआई

locationउदयपुरPublished: May 25, 2019 11:35:37 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

18 लाख के डीजल से टनल को दे रहे हैं 2160 घंटे की बिजली, पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाने में भी योगदान, सौर ऊर्जा पैनल की स्थायी यूनिट लगाने पर नहीं किया विचार

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अनुबंध है या घाटा, ठेकेदार पर मेहरबान एनएचएआई

डॉ. सुशील कुमार सिंह/ उदयपुर. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में अंधेरगर्दी पसरी हुई है। उदयपुर-पिण्डवाड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 76 पर ऑपरेशन एंड मैंंटेनेंस (ओ एंड एम) के नाम पर ठेकेदार को टनल में बिजली बल्व जलाने के लिए सालाना लाखों रुपए का हो रहा भुगतान कुछ इसी ओर इशारा करता है। सूर्य की रोशनी में भी टनल में पसरे अंधेरे को दूर करने के नाम पर एनएचएआई प्रतिदिन केवल 6 घंटे की बिजली के नाम पर वार्षिक 18 लाख रुपए से अधिक का भुगतान कर रहा है। इसके बाद भी टनल प्रतिदिन करीब 12 घंटे अंधेरा रहता है। इसके अलावा जेनरेटर में जलने वाले डीजल से पर्यावरण प्रदूषण अलग बढ़ता है। केंद्र सरकार की एजेंसी होने के बावजूद एनएचएआई ने वार्षिक राजस्व नुकसान और पर्यावरण प्रदूषण के स्थायी समाधान को लेकर सौर ऊर्जा पैनल की स्थापना को लेकर अब तक कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की। सौर ऊर्जा के इंजीनियर्स की मानें तो टनल को सौर ऊर्जा पैनल से विद्युत सप्लाई की जाए तो सालाना औसत 12 लाख रुपए के राजस्व का फायदा हो सकता है। गौरतलब है कि अब से पहले तक केंद्र सरकार की लागू योजना के तहत सौर ऊर्जा पैनल की स्थापना के लिए उपभोक्ताओं को सब्सिडी जारी की जा रही थी।
दावों का सच
अगर, एनएचएआई के दावों पर गौर करें तो उखलियात स्थित टनल में ग्रामीण क्षेत्र होने से ६ घंटे ही थ्री फेज सप्लाई मिलती है। अनुबंध के तहत संवेदक को प्रतिदिन 6 घंटे की बिजली जेनरेटर से देने का प्रावधान है। शेष 12 घंटे में सिंगल फेज सप्लाई में नाम मात्र के बल्व जलते हैं। इस बीच बिजली नहीं होने पर टनल बिल्कुल अंधेरे में रहती है।
प्रतिदिन जलता है 5 हजार का डीजल
केवल संवेदक स्तर पर जेनरेटर से 6 घंटे मुहैया कराई जाने वाली बिजली की बात करें तो एक औसत से एक घंटे की बिजली सप्लाई में जेनरेटर करीब 12 लीटर (करीब 840 रुपए का) डीजल फूंकता है। ऐसे में प्रतिदिन (6 गुणा 840 रुपए) पांच हजार 40 रुपए का डीजल प्रतिदिन जलता है। एक माह में (5040 रुपए गुणा 30 दिन) एक लाख 51 हजार 2 सौ रुपए का डीजल जला। यानी सालाना (1,51,200 रुपए गुणा 12) 18 लाख 14 हजार 4 सौ रुपए का डीजल जलता है। इसका भुगतान एनएचएआई संंबंधित संवेदक को करता है। वहीं प्राधिकरण ही संवेदक को पर्यावरण प्रदूषण के लिए प्रेरित करता है।
सौर ऊर्जा का सालाना खर्च 5 लाख
अगर, एनएचएआई मंथन करे तो टनल के करीब 150 बल्वों में होने वाली बिजली खपत के लिए 3 किलोवाट का सौर ऊर्जा पैनल लगवा सकता है। इससे करीब 3 सौ एलईडी बल्व को निरंतर जलाया जा सकता है। बात हैलोजन वाली पीली लाइटों की करें तो 3 किलोवाट में करीब 150 बल्व निरंतर जल सकते हैं। बिना सब्सिडी के तीन किलोवाट सौर ऊर्जा पैनल की लागत करीब सवा 3 लाख रुपए पड़ेगी। ऐसे में पैनल की सुरक्षा के लिए मासिक 15 हजार रुपए भी खर्च किए जाएं तो ये खर्च केवल 4 लाख 70 हजार रुपए पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता। टनल के ऊपर ही इसका सेटअप हो सकता है। टलन के ऊपर का पहाड़ी हिस्सा राजस्व खाते में ही बोल रहा है।
फायदा का सौदा
३ किलोवाट का सौर ऊर्जा पैनल संबंधित बल्वों के लिए पर्याप्त है। इससे पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है। एनएचएआई तो केंद्र संचालित संस्था है। प्रयास करने पर उन्हें सब्सिडी भी मिल सकती है।
अंकुर कश्यप, सहायक अभियंता, पंडित दीनदयाल उपाध्याय विद्युतीकरण योजना
जरूर करेंगे विचार
बिजली की खपत पूर्ति के लिए सौर ऊर्जा भी विकल्प हो सकता है। इस बारे में कभी विचार नहीं आया। बता रहे हैं तो जरूर सोचेंगे।
हरीशचंद्र, मैनेजर, एनएचएआई उदयपुर

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