औषधि नियंत्रक विभाग की जांच कमेटी ने सीडी डिस्ट्रीब्यूटर्स के बिलों में एमआरपी से अधिक लागत इंजेक्शन बेचने की पुष्टि की है। जांच दल के औषधि निरीक्षक सुरेश सामर ने बताया कि बिल में एमआरपी से अधिक बिलिंग की रिपोर्ट जयपुर भेजी गई है। प्रशासनिक निर्देशानुसार कार्रवाई तय की जाएगी। सामर ने बताया कि नकली कैथेटर मामले में चिकित्सालय की कार्रवाई और कंपनी को लिखा गया खत भी कब्जे में ले लिया है। कंपनी प्रतिनिधि ने नकली कैथेटर किसी और जगह के लिए बनाने की पुष्टि कर दी है। यह भी कहा कि गलती से यह पैकेट उदयपुर पहुंच गया था। जयपुर मुख्यालय से दिल्ली स्थित कंपनी के लिए भी कार्रवाई को आगे बढ़ाना तय हुआ है।
अधिकृत ही नहीं डिस्ट्रीब्यूटर्स चिकित्सालय की व्यवस्था के तहत स्थानीय खरीद की दशा में ‘ग्रोथ हार्मोन्स इंजेक्शनÓ की सप्लाई के लिए किसी और ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर्स को अधिकृत कर रखा है। निविदा शर्तों के तहत इस डिस्ट्रीब्यूटर्स ने एमआरपी से 62.90 प्रतिशत कम दर में इस इंजेक्शन की सप्लाई की सालाना जिम्मेदारी ली हुई है। मगर नियमों को ताक में मुनाफा कमाने के लिए यह खरीद जान बूझकर सीडी डिस्ट्रीब्यूटर्स से की गई।
सख्ती की सजा कार्यमुक्त सीडी डिस्ट्रीब्यूटर्स के मामले में सख्ती दिखाना एवं जांच कमेटी बनाना सहायक औषधि नियंत्रक पर भारी पड़ गया। प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर उन्हें उदयपुर की सेवाओं से मुक्त कर दिया। अब सहायक औषधि नियंत्रक ललित अजारिया केवल चित्तौडग़ढ़ का दायित्व संभालेंगे।