करीब दो साल पहले कोटड़ा थाना क्षेत्र के लाम्बाहल्दू निवासी हामीरा पुत्र मकना गमार का शव उंडा वेला स्थित कुएं में मिला था। परिजनों ने हत्या बताते हुए दो दिन तक शव घर के बाहर खुले में रख छोड़ा था। तब पुलिस-प्रशासन की समझाइश पर अंतिम संस्कार तो कर दिया गया, परंतु परिजनों ने हामीरा की पत्नी मजी पुत्र केसा खेर पर हत्या की आशंका जताते हुए रंजिश पाल ली। असल में मजी का मकान लाम्बा हल्दू में घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर है। परिजनों का कहना है कि मजी और उसके परिवार वालों ने हत्या कर शव कुएं में फेंक दिया। दूसरी ओर, मजी ने आरोप को नकार दिया। उसका कहना था कि उनका रिश्ता काफी समय पहले ही खत्म हो गया था। फिर भी हामीरा के परिजन उसके परिवार पर आरोप लगाते रहे। हमले की आशंका में मजी व उसके परिवार के 25 से अधिक लोग घर-खेत छोड़ मजदूरी करने गुजरात चले गए। दो वर्ष साल बाद भी घर वापसी नहीं होने और मामला शांत नहीं होते देख दोनों पक्ष समझौते के लिए कोटड़ा पहुंचे थे। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। थाने के सामने गांधी मैदान पर घंटों बातचीत के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकल पाया। अपराह्न करीब तीन बजे हामीरा के परिजन उग्र हो गए। उन्होंने धक्का-मुक्की शुरू कर दी। एक तरफ पुरुष गुत्थमगुत्था हो रहे थे तो दूसरी ओर दो महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए। दोनों ओर से पथराव भी शुरू हो गया। यह देख आसपास के लोग सहम उठे। शोर सुनकर तुरंत पुलिस आ पहुंचे।
READ MORE: उदयपुर में सर्वधर्म सामूहिक विवाह समारोह में हिन्दू-मुस्लिम जोड़ों ने थामे एकदुजे के हाथ जवानों ने लाठियां भांजकर दोनों पक्ष के उत्पातियों को खदेड़ दिया। बता दें कि गांधी मैदान पर यह अपने तरह की पहली घटना नहीं है। पहले भी कई मामलों में दोनों पक्ष सहमति नहीं बन पाने के कारण आमने-सामने हो चुके हैं। इससे कस्बावासी त्रस्त हैं। लोगों ने बताया कि अकसर क्षेत्र के गांवों में कोई घटना, विवाद या हादसा होता है, दोनों पक्ष निपटारे के लिए कोटड़ा आ जाते हैं। थाने के सामने दिनभर पंचायती या बातचीत चलती रहती है और पुलिस के दखल पर विवाद शांत हो जाता है।