आधे-अधूरे रिकॉर्ड पुलिस का तर्क है कि फर्जी बीमा क्लेम मामले की अब तक हुई जांच में आदिवासियों के नाम से ४-५ बैंक व बीमा कंपनियों से क्लेम राशि उठी है। खुलासे के बाद जब बैंक व बीमा कम्पनी से रिकॉर्ड मांगा तो उन्होंने भी पहले टालमटोल की और बाद में आधे-अधूरे रिकॉर्ड उपलब्ध करवाए। पुलिस उनसे पूरे रिकॉर्ड ले पाती उससे पहले ही यह फाइल गृहमंत्री के आदेश से एसओसी को स्थानांतरित हो गई। एसओजी अधिकारियो ने फाइल की पड़ताल की तब तक आरोपियों को करीब एक से डेढ़ माह का समय मिल गया।
फिर हेराफेरी आरोपियों ने बैंक व बीमा कंपनियों से सम्पर्क साधते हुए वहां से भी रिकॉर्ड में हेराफेरी करवाई है। पुलिस का कहना है लोढ़ा कॉम्पलेक्स में स्थित एक बीमा कंपनी ने तो पहले स्वयं पांच से छह बीमा खोलने की बात कहते हुए जानकारी दी। बाद में रिकॉर्ड इधर-उधर होना बताकर मुकर गए। राजस्थान पत्रिका ने ३० मार्च के अंक में ‘जिनके खाने के लाले उनके नाम पर उठा लाखों का बीमा क्लेमÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर नित्य नए खुलासे किए थे। हाथीपोल थाना पुलिस ने जांच के बाद चोकडिय़ा (नाई) निवासी पुष्पा पत्नी रामा गमेती की रिपोर्ट पर मेल नर्स डालसिंह, दलाल रमेश चौधरी, बीमा एजेन्ट दिलीप मेघवाल व पूर्व उपसरपंच शंकरलाल के विरुद्ध मामला दर्ज किया था।पुष्पा को ही कर दिया था गायब पुलिस जांच के दौरान ही आरोपियों ने मामले में परिवादिया रही पुष्पा को ही गायब कर दिया था। बाद में उसकी तरफ से न्यायालय में एक परिवाद पेश किया कि उसने पुलिस को किसी तरह की कोई रिपोर्ट नहीं दी। उसके नाम से अन्य महिला ने रिपोर्ट दी। रिपोर्ट में पुष्पा के पति सहित करीब दस लोगों के नाम थे, जिनकी जांच में सबके नाम से लाखों का फर्जी बीमा क्लेम उठने का खुलासा हुआ था। अब इस मामले में नए सिरे से पुन: जांच हो सकती है।
READ MORE: अरे बाप रे ये क्या…बच्चियों के साथ दरिंदगी में उदयपुर प्रदेश में अव्वल मामला दर्ज होने के दौरान ही मेल नर्स डालसिंह बिना अनुपस्थिति से ड्यूटी से गायब हुआ था। नोटिस देने पर उसने मेडिकल पेश कर पुन: ड्यूटी ज्वाइन कर ली। पुलिस ने डालसिंह के विरुद्ध एफआईआर या परिवाद के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी।
संजीव टांक, चिकित्सा एवं मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, उदयपुर