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खुद को बहुत शात‍िर समझ रहा था आरोपी…मोबाइल लोकेशन ने खोल दी सारी पोल..

locationउदयपुरPublished: Jul 20, 2018 06:17:12 pm

Submitted by:

Krishna

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crime in udaipur

खुद को बहुत शात‍िर समझ रहा था आरोपी…मोबाइल लोकेशन ने खोल दी सारी पोल..

उदयपुर. अम्बामाता थाने में युवक से मारपीट के मामले में सीबीआई की जांच में तत्कालीन थानाधिकारी नेत्रपालसिंह व स्टॉफ को क्लीनचिट मिलने के बाद हाइकोर्ट ने परिवादी के विरुद्ध अलग से प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिया। जांच में माना कि आरोपी ने गुमराह करते हुए फर्जी गवाह व मेडिकल पेश किया। मोबाइल लोकेशन व चिकित्सक के बयानों में सारी पोल खुलकर सामने आ गई। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में आरोपी के खिलाफ पूर्व में दर्ज धोखाधड़ी के मामले को समाप्त करने लिए पेश आवेदन को खारिज कर दिया। न्यायालय ने धोखाधड़ी के प्रकरण में तो प्रथमदृष्टया आरोप प्रमाणित मानते हुए अग्रिम कार्रवाई के आदेश दिए। सुखदेवी नगर, बेदला निवासी अभिमन्यु पुत्र भैरूलाल तंवर ने अम्बामाता थाने के पूर्व प्रभारी नेत्रपाल सिंह, एक पुलिसकर्मी, लखावली निवासी प्रेमशंकर डांगी व अन्य के खिलाफ परिवाद में मारपीट का आरोप लगाया था। बताया कि बेदला में उनकी जमीन का विवाद चल रहा है। उच्च न्यायालय ने उनके हक में आदेश दिया था, जिसकी प्रति थाने में पेश करनी थी। 11 नवंबर शाम को थाने से एक पुलिसकर्मी का फोन आने पर वह अधिवक्ता के साथ पहुंचा। थानेदार दिलीपसिंह ने सीआई के कमरे में बुलाया। उसके साथ आए अधिवक्ता को बाहर ही रोक दिया और बाद में सिविल ड्रेस में खड़े एक पुलिसकर्मी ने उसके साथ बेल्ट व ल_ से मारपीट कर जातिगत गालियां दी और कहा कि जमीन की रजिस्ट्री हमारे आदमी के पक्ष में करवा देना। अभिमन्यु ने इस मामले में पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाते हुए आईजी एसपी को परिवाद पेश किया था। कार्रवाई नहीं होने पर तंवर ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर विविध आपराधिक याचिका हाईकोर्ट में पेश किया। मामले में हाईकोर्ट ने आईजी आनंद श्रीवास्तव व पुलिस अधीक्षक राजेन्द्रप्रसाद गोयल को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा था। आईजी व एसपी के जवाब पर न्यायालय ने असंतुष्टि जताते स्व: प्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर मामले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिए
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सीबीआई ने जांच के बाद परिवादी की ओर से पेश समस्त रिपोर्ट को तथ्यहीन व झूठी बताया। सीबीआई ने मामले में गवाहों की मोबाइल लोकेशन निकाली तो वह थानों के बजाय उनके गांव में मिली, वहीं चिकित्सक के बयान लिए जिसमें उन्होंने इस तरह की मेडिकल रिपोर्ट से ही इनकार किया। सीबीआई की रिपोर्ट पेश होते ही न्यायालय ने उक्त निर्णय दिया।

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