केस 3 – शकील मोहम्मद के खाते से भी ठगों ने 39 हजार निकाल लिए गए, जिसका मैसेज उन्हें रात 12 बजे मोबाइल पर आया। ये मैसेज देखते ही उनकी नींद उड़ गई। इस संबंध में उन्होंने गोवर्धन विलास थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
साइबर एक्सपर्ट श्याम चन्देल के अनुसार, इन दिनों बिना ओटीपी से खातों से पैसे उड़ाने के मामले बढऩे लगे हैं। इसी सप्ताह 4 से 5 केस उनके पास आए हैं। दरअसल, किसी भी एटीएम मशीन, रेस्तरां या ऐसे स्थानों पर जहां अक्सर लोग कार्ड से कैश निकालने आते हैं या फिर पेमेंट करते हैं, उन स्थानों पर अपराधी नजर रखते हैं। वे अपने पास वाई-फाई स्किमर डिवाइस रखते हैं। इसमें ऐसा खास सॉफ्टवेयर होता है जो किसी भी एटीएम टर्मिनल या दुकानों पर लगीं पीओएस मशीनों से कनेक्ट हो जाता है। इससे अपराधी किसी एटीएम से 10 से 15 मीटर दूर खड़े हो जाते हैं। इसके बाद डिवाइस को अपने लैपटॉप से कनेक्ट कर देते हैं। अब जैसे ही एटीएम बूथ में गया कोई व्यक्ति अपने कार्ड से पैसे निकालता है तो ये डिवाइस एटीएम कार्ड के सभी डेटा के साथ पिन नंबर की भी डिटेल चुरा लेती है। ये डेटा डिवाइस की मेमोरी में स्टोर हो जाता है। जिसके जरिए कार्ड की क्लोनिंग कर अपराधी कभी भी आपके बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं। इससे पहले जो मार्केट में स्किमर डिवाइस थी उसमें एटीएम कार्ड को फिजिकली स्वाइप करने की जरूरत पड़ती थी, लेकिन अब इस वाई-फाई डिवाइस से कार्ड को फिजिकली बिना स्वाइप किए ही डेटा चुराकर उससे ठगी की जा रही है।
इन बातों का रखें ध्यान – वाई-फाई स्किमर डिवाइस के आने से कहीं भी ठगी हो सकती है, इसलिए डेबिट कार्ड के इस्तेमाल से बचें।
– कार्ड के बजाय स्कैन कोड के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करें जिससे आपका डेटा चोरी नहीं होगा।
– अपने एटीएम कार्ड को लेदर या ब्लोकिंग पॉकेट के अन्दर रखना चाहिए और एक्स्पोसर को रोकने के लिए आरएफ आईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) के पॉकेट में रखें।
– बैंकों को भी अपने स्तर पर अपने-अपने एटीएम की जांच करते रहना चाहिए ताकि कोई क्लोनिंग डिवाइस या कोई और डिवाइस लगाया गया हो तो उसका पता लग सके।