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जननी के दामन पर अब भी डायन का दंश, राजस्थान में सर्वाधिक डायन प्रताड़ना के मामले इन क्षेत्रों के..

locationउदयपुरPublished: Jan 27, 2018 08:13:35 pm

Submitted by:

bhuvanesh pandya

वर्ष 2015 में डायन प्रताडऩा अधिनियम लागू होने के बाद भी 127 घटनाओं ने किया शर्मसार, सर्वाधिक मामले राजस्थान के उदयपुर संभ्‍ााग और भीलवाड़ा के

dayan pratha
भुवनेश पंड्या/ उदयपुर . मां शब्द का अर्थ जननी है, जो मां जन्म देती और कर्म के लिए संबल उसके लिए प्रदेश की इस कुप्रथा को दंश की कहा जाएगा। नई सदी में जहां हर ओर नई शुरुआत और नई तैयारियों की बातें हो रही है, वहीं हमारे प्रदेश में आज भी महिलाओं को डायन बता प्रताडि़त किया जा रहा है। राजस्थान ऐसा प्रदेश जहां मीरा की भक्ति से लेकर रानी पद्मिनी की गाथा का गान होता है। खास बात ये कि जिस प्रदेश से ये दोनो एतिहासिक व्यक्तित्व आते हैं, उस क्षेत्र में ही महिलाओं को डायन कहकर शर्मसार करने के मामले अधिक हैं, वर्ष 2015 में डायन प्रताडऩा अधिनियम बनने के बाद भी राज्य में 127 घटनाएं महिलाओं को डायन बताने की सामने आई, जिनमें से 73 मामले न्यायालय तक पहुंच चुके हैं।
डायन, डाकन या डाकिन…

– वर्ष 2015 में बने कानून के बाद वर्ष 2016 में राजस्थान डायन प्रताडऩा निवारण नियम भी बनाया गया है। इसमें डायन से एसी स्त्री या महिला का संदर्भ है, जिसे डाकन या डाकिन भी कहा जाता है। जिसकी पहचान किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की सं पत्ति को हानि पहुंचाने वाली स्त्री है, जो किसी बुरी शक्ति के कब्जे में है, या उसके पास कोई बुरी शक्ति है।
ज्यादातर इस तरह की घटनाएं

आदिवासी क्षेत्रों में सामने आई है, इससे ये पता भी चलता है कि शिक्षा के स्तर का प्रभाव कितना आम व्यक्ति के जीवन से जुड़ा है। भीलवाड़ा ने भी किया शर्मसार: प्रदेश में वर्ष 2015 से अब तक हुए 127 मामलों में सर्वाधिक भीलवाड़ा में 37 मामले दर्ज हुए हैं और दूसरे नंबर पर दक्षिणांचल जनजाति क्षेत्र उदयपुर में 26 और डूंगरपुर में 20 मामले दर्ज हुए हैं। उदयपुर 26 ,भीलवाड़ा 37,डूंगरपुर 20, जयपुर 1, अजमेर 7,बांसवाड़ा 6,बूंदी 2,चित्तौडगढ़़ 6झालावाड़ 1,प्रतापगढ़ 2,पाली 2,राजसमन्द 7,स.माधोपुर 5,सिरोही 1, टोंक 4
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गरीब व आदिवासी हैं ये महिलाएं

जिन्हें डायन नाम का दर्द झेलना पड़ रहा है वे महिलाएं गरीब व आदिवासी हैं। इसे लेकर बनाया गया अधिनियम भी कमजोर है, उसमें संशोधन कर मजबूत बनाने की जरूरत है। यहां भाेपे व तांत्रिक खूब हैं, लेकिन पुलिस इन पर कार्रवाई नहीं करती। खास तौर पर जमीन हड़पने जैसे मामले में उनका नाम लिया जाता है। चौपाल भी जो मामले आते हैं, उन्हें भी तत्काल हल करना चाहिए, लेकिन इसमें गंभीरता नहीं बरती जाती। वर्तमान में महिला आयोग पूरे मन से काम नहीं कर रहा।
लाडक़ंवर जैन, पूर्व अध्यक्ष राजस्थान महिला आयोग


बनाई है छोटी सी फिल्म, कर रहे हैं प्रयास

डायन नहीं होती है, इसे समझाने के लिए आयोग ने एक फिल्म बनाई है। महिलाओं के पुनर्वास के लिए कई प्रकार की समस्या आ रही है, प्रयास कर रहे हैं कि लोगों को समझाया जाए। हर जिले में सेमिनार कर रहे हैं, पुलिस के साथ व पीडि़त पक्ष के साथ। पहले तो पुलिस इसे शांतिभंग में लेकर मामले तक दर्ज नहीं करती थी, लेकिन पुलिस महानिदेशक के साथ बातचीत के बाद हालात सुधरने लगे हैं।
सुमन शर्मा, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग

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