यहां बिना डॉक्टर के मोबाइल की रोशनी में होते प्रसव
उदयपुरPublished: Sep 22, 2019 12:14:42 am
मादड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल, टॉर्च की रोशनी में हो रहे प्रसव और उपचार, मरीज नीम हकीमों के भरोसे, दो दिन से बिजली और दस दिन से डॉक्टर नहीं
यहां बिना डॉक्टर के मोबाइल की रोशनी में होते प्रसव
मुकेश पुरोहित/फलासिया . सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा, नि:शुल्क जांच समेत कई तरह की चिकित्सा योजनाएं संचालित है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर स्थिति दयनीय है। बरसात के साथ ही जल जनित मौसमी बीमारियों के प्रकोप से हर कोई आहत है, वहीं सरकारी तौर पर चिकित्सा सुविधाओं का भारी अभाव है। इसी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने हर गांव-कस्बे तक पहुंचकर पड़ताल की है। प्रस्तुत है फलासिया क्षेत्र के मादड़ी में स्थित पीएचसी की रिपोर्ट-
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मादड़ी कहने को आदर्श है। असल में यह मवेशियों के तबेले से कम नहीं। यहां के हालात ऐसे हैं कि दो दिन से बिजली गुल है, जबकि आपात स्थिति में बिजली का बंदोबस्त ही नहीं है। यही नहीं यहां दो चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं और दोनों ही रिक्त हैं। प्रतिनियुक्ति पर एक चिकित्सक ओगणा से भेजा गया है, लेकिन वे भी बीते 10 दिन से नहीं आ रहे हैं। ऐसे में मादड़ी का आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही चल रहा है।
गांव की विद्युत लाइन में फाल्ट आने पर बिजली शुक्रवार सुबह बंद हुई, जो शनिवार शाम तक बहाल नहीं हो पाई। ग्रामीण ने तो जैसे-तैसे समय काटा, लेकिन अस्पताल में व्यवस्थाएं चरमरा गई। लगातार दो दिन और एक रात तक अस्पताल का संचालन बिना बिजली के ही हुआ। वातानुकूलन में रहने वाली दवाएं खराब होने की स्थिति में पहुंच गई, वहीं यहां रोगियों, प्रसूताओं का हाल बेहाल हो गया। इस दरमियान अस्पताल के इनवर्टर जवाब दे गए। कर्मचारियों और मरीजों को रात-दिन बरसाती और जहरिले जीवों का खबरा बना रहा।
इधर, यहां प्रतिनियुक्ति पर लगे डॉ. जितेंद्र बीमार है, वे मेडिकल छुट्टी पर गए हैं। ऐसे में बीते 10 दिन से अस्पताल बिना चिकित्सक के ही चल रहा है। विभाग ने कागजों में पीपलबारा के चिकित्सक को अतिरिक्त चार्ज दे दिया, लेकिन डॉक्टर की पीपलबारा में ही व्यस्तता के चलते मादड़ी में व्यवस्थाएं चौपट ही रही। ऐसे हालात में क्षेत्र में नीम हकीमों की दुकानें धड़ल्ले से चल रही है।
मादड़ी पीएचसी पर झाड़ोल उपखण्ड में सर्वाधिक प्रसव होते हैं। यहां महीने भर में 90 से 100 प्रसव हो रहे हैं। झाड़ोल के अलावा खेरवाड़ा के भी कुछ गांवों के लिए मादड़ी पीएचसी सुगम है। लिहाजा यहां प्रसव संख्या और आउटडोर में मरीजों की संख्या अधिक रहती है। दो दिन और एक रात बिजली बंद रहने की स्थिति में प्रसव और उपचार मोबाइल टॉर्च की रोशनी में ही हुए। जो प्रसूताएं यहां भर्ती हैं, वे पंखे के बिना गर्मी और मच्छरों से आहत हो गई।
इनका कहना
पालियाखेड़ा में शुक्रवार को 33 केवी लाइन में फाल्ट होने से शनिवार सुबह लाइन सही कर पाए। शनिवार को लाइन शुरू हुई, लेकिन फिर फाल्ट आ गया। शाम 6 बजे लाइन सही हो गई।
आशीष मीश्रा, जेइएन, झाड़ोल
वैक्सीन खराब हो रही है, इसकी जानकारी नहीं है। बिजली बंद रहते प्रसव में परेशानी आई है तो बेकअप का स्थाई समाधान करवाएंगे। डॉ. जितेन्द्र बीमार होकर मेडिकल लीव पर है। पीपलबारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी है। झोलाछाप पर कार्रवाई के लिए चिकित्सक को कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। लापरवाही करते हुए उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं की जा रही है तो जिम्मेदार पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
धर्मेन्द्र गरासिया, बीसीएमओ, झाड़ोल