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नोटबंदी का एक साल: उदयपुर में रहे ये हालात, इन उद्योगों पर पड़ा बुरा असर

locationउदयपुरPublished: Nov 08, 2017 03:09:42 pm

Submitted by:

Mukesh Hingar

उदयपुर. नोटबंदी को एक साल पूरा हो गया। इस एक साल में डिजिटल लेनदेन में काफी तेजी से वृद्धि हुई है।

demonetisation one year of noteban everything about notebandi udaipur
उदयपुर . नोटबंदी को एक साल पूरा हो गया। इस एक साल में डिजिटल लेनदेन में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। नोटबंदी से प्रभावित व्यापार अभी उबरा ही था कि जीएसटी से व्यापारी परेशान हो गए। व्यापारी अभी तक चिंता में है कि किस प्रकार व्यापार को आगे बढ़ाया जाए। नोटबंदी का गैर संगठित उद्योगों पर काफी बुरा असर पड़ा। वहींं डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत नहीं होने के कारण लघु और मध्यम उद्योग पिछड़ रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए पहले पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए जाने चाहिए थे। देश में यूपीआई पेमेंट सिस्टम नोटबंदी से पूर्व लागू किया गया। नोटबंदी से पहले यूपीआई लेनदेन की संख्या करीब 1 लाख थी। एनसीपीआई के आंकड़ों के अनुसार यह संख्या अब 7 करोड़ से अधिक हो
गई है।
one year of noteban
 

छोटे उद्योगों पर पड़ा प्रतिकूल प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार लघु उद्योगों का अधिकांश व्यापार कैश आधारित है। डिजिटल लेनदेन बढऩे से डिजिटल पेमेंट कंपनियों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। तरह-तरह के नए एप भी बढे हैं। वहीं लघु उद्योग नष्ट हो रहे हैं। लघु उद्योगों को बचाने के लिए सरकार को शीघ्र डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने चाहिए। यूपीआई बैंकों की संख्या वर्तमान में करीब 60 हो गई है।
लघु और मध्यम उद्योग व्यापारिक प्रतिस्पद्र्धा में पिछड़ रहे हैं। डिजिटल पैमेंट में 50 प्रतिशत तक तेजी आई है। नोटबंदी और इसके बाद लागू हुई जीएसटी से व्यापारी आशांकित हैं। नोटबंदी और जीएसटी के प्रभाव को परखने के लिए सीमित इनवेस्टमेंट कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। जीडीपी में गिरावट आई तो रुपए की साख विदेशी मुद्रा की तुलना में और घट जाएगी।
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पत्रिका सर्वे: एकबारगी मितव्ययता सिखाई, फिर उसे ढर्रे पर
नोटबंदी को लेकर पत्रिका टीम ने उदयपुर शहर के अलग-अलग वर्ग के लोगों से बातचीत की तो कई रोचक तथ्य सामने आए। करीब 60 फीसदी लोगों ने नोटबंदी को सही कदम बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जिस उद्देश्य से नोटबंदी लागू की गई, वह पूरा नहीं हो पाया। करीब 40 फीसदी लोगों ने कहा कि नोटबंदी से बाजार की कमर अब तक टूटी हुई है।
हां, यह जरूर है कि नोटबन्दी ने साल भर पहले एकबारगी मितव्ययता जरूर सिखा दी थी, लेकिन अब लोग उसी ढर्रे पर आ गए हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 80 फीसदी लोगों ने कहा कि नोटबन्दी से भ्रष्टाचार पर कोई असर नहीं पड़ा।
one year of noteban
 


डिजिटल पेंमेंट पर मिले इंसेंटिव
नोटबंदी के बाद इंडस्ट्री ग्रोथ डाउन हुई है। संगठित उद्योग मेें बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन गैर संगठित उद्योग नोटबंदी से काफी प्रभावित हुआ। बाजार में मंदी आई, इससे उत्पादों की बिक्री घट गई। नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू होने से व्यापार में विसंगतियां बहुत अधिक बढ़ गई हैं। व्यापारी व्यवस्थित तरीके से व्यापार नहीं कर पा रहे हैं। डिजिटल इंडिया की वजह से प्रिंङ्क्षटग व्यवसाय पहले की तुलना में घट गया था। तो 18 प्रतिशत जीएसटी से इस व्यवसाय को बड़ा झटका लगा है। डिजिटल पेंमेंट करने वालों को चार्ज मुक्त कर इंसेंटिव दिया जाना चाहिए। जिससे डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहान मिल सके।
हंसराज चौधरी, अध्यक्ष,
उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बढाए जाए
एक बार जरूर परेशानी आई थी, बाद में धीरे- धीरे सामान्य हो गया। नोटबंदी देश के लिए एक अच्छा कदम था। लोगों में एक नई सोच का संचार हुआ है कि सारा पैसा पारदर्शी रूप में रखें। लेनदेन में पूरी पारदर्शिता बरती जाए। इससे देश का भी हित हो सके और स्वयं भी चिंतामुक्त रहेंगे। डिजिटल लेनदेन का चलन बढ़ा है, लेकिन इसके लिए अभी इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है, जिससे उद्योगों को परेशानी हो रही है।
वीरेंद्र सिरोया, पूर्व अध्यक्ष, यूसीसीआई
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प्रभावी प्रावधान की दरकार
नोटबंदी से व्यापार जब तक थोड़ा उबरा ही था, कि सरकार ने जीएसटी लगा दी। इससे व्यापार कमजोर हो गया। व्यापारी आशांकित हैं, किस प्रकार व्यापाार को आगे बढ़ाएं। डिजिटल ट्रांजेक्शन को चार्ज मुक्त किया जाना चाहिए। प्रभावी प्रावधान किए जाने पर ही व्यापार अपनी पूर्व स्थिति में आ पाएगा।
इंद सिंह मेहता, अध्यक्ष सर्राफा एशोसिएशन उदयपुर
दूरगामी सकारात्मक परिणाम मिलेंगे
जनता को परेशानियां अवश्य हुईं, लेकिन सरकार का साहसिक कदम था। विश्व बैंक ने हाल में कहा है कि नोटबंदी से लोगों की परेशानी स्वाभाविक परिणााम थे। अर्थव्यवस्था की गति मंद होना अल्पकालीन प्रभाव है। नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था का दूरगामी प्रभाव अच्छा रहेगा।
प्रो. जी. सोरल, वाणिज्य महाविद्यालय उदयपुर

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