गुरू रूठे तो भाग्य रूठे साध्वी अभ्युदया ने कहा कि गुरु को कभी रूठने नहीं देना है। गुरु रूठ गया तो भाग्य रूठ जाएगा। लक्ष्य तक पहुंचना है तो गुरु की अंगुली पकड़ लो। वो भवसागर पर करवा देगा। साध्वी ने ये बात वासुपूज्य मंदिर स्थित दादाबाड़ी में आयोजित धर्मसभा में कही।
साधना से आनंद अनुभूति
मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए विरागरत्न विजय ने कहा कि संयम की साधना इस उद्देश्य से की जाती है कि उससे आत्मा की प्रसन्नता जागृत होती है। भावनाएं शुद्ध, पवित्र एवं शान्त रहती है। यदि संयम का पालन करते हुए भी भावना अशान्त रहे, हृदय क्षुब्ध हो, आत्मा विषय भोगों के लिए तड़पे, वह साधना मात्र एक धोखा है।
जीवन निर्माण में मनस्थिति बाधक
साधना से आनंद अनुभूति
मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए विरागरत्न विजय ने कहा कि संयम की साधना इस उद्देश्य से की जाती है कि उससे आत्मा की प्रसन्नता जागृत होती है। भावनाएं शुद्ध, पवित्र एवं शान्त रहती है। यदि संयम का पालन करते हुए भी भावना अशान्त रहे, हृदय क्षुब्ध हो, आत्मा विषय भोगों के लिए तड़पे, वह साधना मात्र एक धोखा है।
जीवन निर्माण में मनस्थिति बाधक
आयड़ तीर्थ पर धर्मसभा में साध्वी लक्षितज्ञाश्री ने कहा कि जीवन के निर्माण में परिस्थितियां बाधक नहीं बनती, बाधक तो मन:स्थिति होती है। मन की तैयारियां न हो तो सारी तैयारियां व्यर्थ हो जाती है। व्यक्ति परिस्थितियों के प्रवाह में न बहे और आत्म गुणों के पारखी बनें।