जगदीश मंदिर में हुआ तुलसी विवाह
देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में विविध आयोजन हुए। इसके तहत कई जगह तुलसी विवाह का आयोजन भी हुआ। जगदीश मंदिर के पुजारी गजेंद्र ने बताया कि सुबह 6 बजे मंगला आरती हुई। 6.30 बजे पंचामृत अभिषेक के बाद भगवान जगदीश और लक्ष्मीजी को तुलसी विवाह का विशेष शृंगार धराया गया। शाम 4.30 बजे से पंडित के मंत्रोच्चार के साथ तुलसी विवाह की रस्में शुरू हुईं। रस्में करीब दो घंटे तक चली। शाम करीब 6.15 बजे ठाकुरजी की आरती की गई। इसके बाद संध्या आरती हुई। पं. गजेंद्र ने बताया कि प्रतिवर्ष तुलसी विवाह का आयोजन संध्या आरती के बाद होता है और शालिग्राम जी की बारात भी आती है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह आयोजन सांकेतिक ही रखा गया। बारात का आयोजन नहीं रखा गया। कार्यक्रम शाम 4.30 बजे शुरू किया गया। रात आठ बजे बाद मंदिर के पट बंद कर दिए गए। कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया। वहीं, श्रीनाथजी की हवेली में एकादशी का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। शृंगार के दर्शन के दौरान गन्ने का मंडप सजाया जाएगा और तुलसी विवाह का आयोजन होगा।
देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में विविध आयोजन हुए। इसके तहत कई जगह तुलसी विवाह का आयोजन भी हुआ। जगदीश मंदिर के पुजारी गजेंद्र ने बताया कि सुबह 6 बजे मंगला आरती हुई। 6.30 बजे पंचामृत अभिषेक के बाद भगवान जगदीश और लक्ष्मीजी को तुलसी विवाह का विशेष शृंगार धराया गया। शाम 4.30 बजे से पंडित के मंत्रोच्चार के साथ तुलसी विवाह की रस्में शुरू हुईं। रस्में करीब दो घंटे तक चली। शाम करीब 6.15 बजे ठाकुरजी की आरती की गई। इसके बाद संध्या आरती हुई। पं. गजेंद्र ने बताया कि प्रतिवर्ष तुलसी विवाह का आयोजन संध्या आरती के बाद होता है और शालिग्राम जी की बारात भी आती है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह आयोजन सांकेतिक ही रखा गया। बारात का आयोजन नहीं रखा गया। कार्यक्रम शाम 4.30 बजे शुरू किया गया। रात आठ बजे बाद मंदिर के पट बंद कर दिए गए। कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया। वहीं, श्रीनाथजी की हवेली में एकादशी का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। शृंगार के दर्शन के दौरान गन्ने का मंडप सजाया जाएगा और तुलसी विवाह का आयोजन होगा।
महिलाओं ने किया दीपदान कार्तिक मास की प्रबोधनी एकादशी ( छोटी दीपावली ) पर कार्तिक मास के व्रत करने वाले महिला-पुरुषों ने बुधवार को पीछोला झील के गणगौर घाट पर स्नान कर के पूजा-अर्चना करने के बाद दीपदान किया। इस दौरान कई झिलमिलाते हुए दीये झील में नजर आए, जिससे खूबसूरत नजारा बन पड़ा।