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अब जल्द ही किसानों को मोबाइल पर मिलेगा खाद के उपयोग और फसल पकने का संदेश

locationउदयपुरPublished: Oct 18, 2019 07:45:34 pm

Submitted by:

madhulika singh

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संगटक सीटीएई कॉलेज में दो दिनों तक ‘डिजिटल टेक्नोलॉजीस फॉर स्मार्ट एग्रीकल्चर’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला में इस पर मंथन हुआ

किसानों को मोबाइल पर मिलेगा खाद के उपयोग और फसल पकने का संदेश

किसानों को मोबाइल पर मिलेगा खाद के उपयोग और फसल पकने का संदेश

उदयपुर. देश-दुनिया में आज सेंसर्स एंड आईओटी(इंटरनेट ऑफ थिंक) का उपयोग आईटी, एनर्जी, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम इंडस्ड्री में व्यापक रूप से रहा है और बहुत जल्द यह कृषि के क्षेत्र में भी उपयोगी साबित होता दिखेगा। स्मार्ट एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए कृषि वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञइस पर काम कर रहे हैं, जिससे वह दिन दूर नहीं जब किसान को स्मार्ट फोन पर सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी से यह संदेश मिलेंगे कि खेत में खड़ी फसल या फल पक गया है उसे काट लें, खेत में किस खाद या कीटनाशक की जरूरत है।महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संगटक सीटीएई कॉलेज में दो दिनों तक ‘डिजिटल टेक्नोलॉजीस फॉर स्मार्ट एग्रीकल्चर’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला में इस पर मंथन हुआ। इसमें देशभर के कई कृषि वैज्ञानिक एवं तकनीकी विशेषज्ञों ने स्मार्ट खेती के तरीकों पर हो रहे रिसर्च के बारे में बताया।

मोबाइल बताएगा फसल काट लो

कोर्डिनेटर डॉ. सुनहल जोशी ने बताया कि सेंसर्स टेक्नोलॉजी के खेती में प्रयोग की काफीसंभावना है। खेत में सेंसर लगाने पर मिट्टी की स्थिति पता चल जाएगी। ऐसे में खेत में कितनी नमी है, पानी देना है या नहीं, किस खाद की जरूरत और कितनी है? फसल या फल पक गए है इसे संग्रहित करने का संदेश मोबाइल पर मिल जाएगा। डिजाइन ऑफ मेच्यूरिटी इंडेक्स और सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी का प्रयोग किसान के खर्च को कम करते हुए आय बढ़ाएगा और बेवजह पिलाई और खाद-कीटनाशक के उपयोग पर भी रोक लगेगी। एमपीयूएटी में इस पर रिसर्च हो रहा है।

ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीक से अपडेट होंगे किसान

जयपुर से आए तकनीकी विशेषज्ञ प्रफुल्ल व पुलकित माथुर ने बताया कि दुनिया की तमाम इंडस्ट्री वर्चुअल, ऑगमेंटेड एंड मिक्सड रियलिटी से जुड़ रही है। देश में इस तरक के प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को भी स्मार्ट बनाते हुए उन्हें ऑगमेंटेड रियलिटी से जोड़ा जाए। इसमें फसल या खेत का फोटो कम्प्यूटर पर अपलोड किया जाता है। सॉफ्टवेयर इससे किसान को इस तरह से आभास करवा देता है कि वह बारीक से बारीक चीजों को देखते हुए महसूस कर लेता है कि उसकी फसल या खेत की जरूरत क्या है। यहां तक की कीट कहां लगे हैं। उसी जगह पेस्टिसाइड छिडकऩा है यह तकनीक बता देगी।

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