—– ये है योजना दिल विदाउट बिल योजना के तहत प्रदेश का कोई भी एेसा बच्चा जिसकी उम्र १ से १८ वर्ष तक है, उन्हें बगैर किसी खर्च के सरकारी स्तर पर हृदय रोगों का उपचार मिल सकेगा। गुजरात के राजकोट के सत्य साई बाबा हॉस्पिटल से हुए अनुबंध में ये उल्लेख है कि आने-जाने का खर्च सरकार को वहन करना होगा, जबकि वहां बच्चे को भर्ती करवाने से लेकर डिस्चार्ज होने तक एक पैसा खर्च नहीं करना होगा। ट्रांसपोर्टेशन खर्च भी सरकार वहन करेगी, ताकि बच्चे के माता-पिता पर किसी भी प्रकार का आर्थिक दबाव नहीं रहेगा।
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हर जिले में लगेंगे शिविर प्रत्येक जिले में इस योजना के तहत चिकित्सा विभाग शिविर लगाएगा। शिविर के माध्यम से एेसे बच्चों को चिह्नित करेंगे, जो हृदय रोगों से ग्रस्त हैं। इससे हृदय की जन्मजात बीमारियों का भी उपचार मिल सकेगा। खास तौर पर एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (वाल खराब होने की बीमारी), मेन्टीक्यूलर सेप्टल डिफेक्ट, पेसमेकर की जरूरत वाले बच्चों की संख्या अधिक रहती है।
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हर जिले में लगेंगे शिविर प्रत्येक जिले में इस योजना के तहत चिकित्सा विभाग शिविर लगाएगा। शिविर के माध्यम से एेसे बच्चों को चिह्नित करेंगे, जो हृदय रोगों से ग्रस्त हैं। इससे हृदय की जन्मजात बीमारियों का भी उपचार मिल सकेगा। खास तौर पर एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (वाल खराब होने की बीमारी), मेन्टीक्यूलर सेप्टल डिफेक्ट, पेसमेकर की जरूरत वाले बच्चों की संख्या अधिक रहती है।
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चार लाख तक खर्च
वर्तमान में बच्चों में सामने आने वाले हृदय रोगों को दूर करने के लिए डेढ़ से लेकर चार लाख रुपए तक खर्च होते हैं। खास बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर कई बडे़ चिकित्सालयों में एेसे उपचार की कोई व्यवस्था नहीं होती, एेसे में कम आय वर्ग वाले लोगों के बच्चों की मृत्यु हो जाती थी, लेकिन अब शिविरों के माध्यम से वे चिह्नित होंगे और उन्हें नि:शुल्क उपचार मिलेगा।
वर्तमान में बच्चों में सामने आने वाले हृदय रोगों को दूर करने के लिए डेढ़ से लेकर चार लाख रुपए तक खर्च होते हैं। खास बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर कई बडे़ चिकित्सालयों में एेसे उपचार की कोई व्यवस्था नहीं होती, एेसे में कम आय वर्ग वाले लोगों के बच्चों की मृत्यु हो जाती थी, लेकिन अब शिविरों के माध्यम से वे चिह्नित होंगे और उन्हें नि:शुल्क उपचार मिलेगा।
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प्रदेश में हजारों की संख्या में एेसे बीमार बच्चे है, जिन्हें इसकी जरूरत होती है। आम तौर पर इस तरह के हृदय रोगों के उपचार मे लाखों रुपए खर्च हो जाते थे, जो खर्च नहीं कर सकते हो एेसे लोग तो उपचार के बारे में सोचते तक नहंी थे। एेसे लोगों के लिए इसका लाभ मिलेगा। आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) से जुडे़ बच्चे भी इसमें उपचार ले सकेंगे।
प्रदेश में हजारों की संख्या में एेसे बीमार बच्चे है, जिन्हें इसकी जरूरत होती है। आम तौर पर इस तरह के हृदय रोगों के उपचार मे लाखों रुपए खर्च हो जाते थे, जो खर्च नहीं कर सकते हो एेसे लोग तो उपचार के बारे में सोचते तक नहंी थे। एेसे लोगों के लिए इसका लाभ मिलेगा। आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) से जुडे़ बच्चे भी इसमें उपचार ले सकेंगे।
डॉ अशोक आदित्य, आरसीएचओ उदयपुर